संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह बल पिछले 47 वर्षों से दक्षिणी लेबनान में शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहा था, जहाँ इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच लगातार तनाव बना रहता है और कमजोर लेबनानी सेना दोनों के बीच फँसी हुई है।
परिषद ने मतदान के ज़रिए यूनिफिल के कार्यकाल को अंतिम बार 2026 के अंत तक बढ़ाया है, ताकि अभियानों को "सुरक्षित और व्यवस्थित" तरीके से बंद किया जा सके। इस मिशन में वर्तमान में 10,800 शांति सैनिक तैनात हैं, जिनमें भारत के 903 सैनिक भी शामिल हैं।
फ्रांस ने कार्यकाल विस्तार का प्रस्ताव सावधानीपूर्वक तैयार किया ताकि अमेरिका के संभावित वीटो से बचा जा सके, जो इज़राइल की यूनिफिल को लेकर आपत्तियों को दर्शाता है।
गौरतलब है कि यूनिफिल की स्थापना 1978 में की गई थी, जिसका उद्देश्य दक्षिणी लेबनान से इज़रायली सेना की वापसी की निगरानी करना और लेबनानी सरकार को वहाँ फिर से नियंत्रण स्थापित करने में मदद करना था। इस मिशन में भारत की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है — ब्रिगेडियर गणेशन आत्मनाथन और मेजर जनरल ललित मोहन तिवारी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने 2000 के दशक की शुरुआत में इस बल की कमान संभाली थी।
अब, संयुक्त राष्ट्र की यह ऐतिहासिक शांति पहल धीरे-धीरे अपने समापन की ओर बढ़ रही है।