पाकिस्तान स्थित मानवाधिकार संगठन डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स की एक ताज़ा रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सेना पर देश के सभी प्रांतों—विशेषकर बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा—में मनमानी और गैरकानूनी हत्याएं, न्यायेतर हत्याएं, जबरन गायब करना और व्यापक यातनाएं देने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 में जबरन गायब किए जाने के 2,332 मामलों को दर्ज किया गया है, जो राज्य समर्थित अपहरणों की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के ‘जबरन और अनैच्छिक गायब किए जाने पर कार्य समूह’ की 2024 की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि ऐसे मामलों में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मई 2024 तक 934 मामले अब भी समाधान की प्रतीक्षा में हैं।
बलूच नेशनल मूवमेंट की मानवाधिकार शाखा पांक द्वारा जारी एक अलग रिपोर्ट में भी फरवरी 2024 के दौरान 28 यातना पीड़ितों, 5 न्यायेतर हत्याओं, और 33 जबरन गायब होने के मामलों को दस्तावेजीकृत किया गया है।
रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया गया है कि पाकिस्तानी सेना का यह रिकॉर्ड न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के लिए भी गहरी चिंता का कारण बना हुआ है।