कतर की राजधानी दोहा में 9 सितंबर को हुए विस्फोटों के पीछे इज़रायली सेना का हाथ होने की पुष्टि हो गई है। इज़राइल डिफेंस फोर्स (IDF) और आंतरिक सुरक्षा एजेंसी शिन बेट ने यह स्वीकार किया कि यह हमला हमास के शीर्ष नेताओं को निशाना बनाकर किया गया था, जो कतर की धरती पर हुआ पहला ज्ञात इज़रायली सैन्य ऑपरेशन है।
हमास ने बयान जारी कर कहा कि इस हमले में उसके पाँच सदस्य मारे गए, लेकिन दोहा में स्थित उसका मुख्य वार्ता प्रतिनिधिमंडल सुरक्षित बच गया। हमले का मुख्य निशाना खलील अल-हय्या, जो हमास के वरिष्ठ नेता और मुख्य वार्ताकार हैं, बाल-बाल बच गए। हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार उनके पुत्र और कार्यालय के निदेशक इस हमले में मारे गए।
हमास और कतर दोनों ने पुष्टि की कि इस हमले में एक कतरी सुरक्षा अधिकारी की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए हैं।
हमास ने अमेरिका को भी हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि वाशिंगटन लगातार इज़राइल की आक्रामकता और "हमारे लोगों पर हो रहे अपराधों" को समर्थन दे रहा है।
कतर के विदेश मंत्रालय ने इस हमले को "कायरतापूर्ण" बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है।
वहीं, व्हाइट हाउस ने इस ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह हमला गाज़ा में शांति स्थापित करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रयासों के विपरीत है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मीडिया से बातचीत में इसे "दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिया और बताया कि अमेरिकी प्रशासन को हमले से पहले सूचित कर दिया गया था।
लेविट ने कतर को एक संप्रभु राष्ट्र और अमेरिका का करीबी सहयोगी बताया, और इज़रायल-हमास वार्ता में कतर की मध्यस्थ भूमिका की सराहना की।
यह घटना न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है, बल्कि इज़राइल, हमास, अमेरिका और कतर के संबंधों में एक नया तनावपूर्ण मोड़ भी प्रस्तुत करती है।