माननीय श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी ने भारत के 15 वें राश्ट्रपति के रूप में 25/7/2022 को अपना पद ग्रहण किया। भारतीय लोकतन्त्र में कार्यापालिका का मुखिया राश्ट्रपति को माना जाता है। भारत के संबिधान में राश्ट्रपति को संसद का अंग माना गया हैं, लोक सभा, राज्य सभा और राश्ट्रपति से भारतीय संसद बनती हैं। द्रौपदी मुर्मू जी देष की दूसरी महिला और पहली आदिवासी महिला राश्ट्रपति है। भारत के प्रथम राश्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी थे, जबकि भारत की पहली महिला राश्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी थी
भारतीय लोकतन्त्र में कार्यपालिका का प्रमुख राश्ट्रपति होता है, देष की कार्यपालिका अपने सभी फैसले राश्ट्रपति के नाम पर करती है। भारतीय लोकतंत्र के 3 आधार स्तम्भ है, न्यायपालिका, कार्यपालिक और विधायिका। जहाँ विधायिका को विधि का निर्माण करना है, वही कार्य पालिका उन विधि के अनुसार देष की षासन व्यवस्था चलाती हैं, और न्यायपालिका उन विधियों के अनुसार न्याय देने का कार्य करती है।
कार्यपालिका के प्रमुख राश्ट्रपति जी को अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया द्वारा चुना जाता है। उनके चुनाव के लिए एक संविधान के अनुच्छेद-54 के अनुसार एक निवचिक मण्डल की व्यवस्था की जायेगी, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और सभी राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते है। इनका चुनाव गुप्त मतदान प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। राश्ट्रपति चुन लिए जाने के बाद वह अपने पद पर 5 वर्श तक रहते है। 5 वर्श के पुर्व भी वह कभी-भी अपना त्यागपत्र उप-राश्ट्रपति को देकर अपना पद छोड़ सकते है। अनुच्छेद-61 के अनुसार संसद राश्ट्रपति के महाभियोग द्वारा भी हटा सकती है।
किसी व्यक्ति को भारत का राश्ट्रपति बनने के लिए भारत का नागरिक होना आवष्यक है, इसके साथ ही उसका आयु 35 वर्श पूरी होनी चािहए, अधिकतम आयु का कोई प्रावधान नहंी हैं, सवंधिान में, साथ ही वह लाभ के पद पर न हो, तथा लोक सभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो। कोई व्यक्ति भारत देष का राश्ट्रपति कितनी बार बनेगा इस विशय पर भारतीय संविधान मौन है। अमेरिका के संविधान में वहाँ को कोई केवल दो बार ही राश्ट्रपति बन सकता है। आज तक भारत में केवल डॉ राजेन्द्र प्रसाद ही ऐसे हैं जो दो बार(1952-1957) राश्ट्रपति निर्वाचित हुए थे।
संविधान के अनुच्छेद -53 के अनुसार राश्ट्रपति अपनी कार्यपलि कि षक्ति का प्रयोग स्वंय या मंत्रिमणल की सलाह से करते है । इसके बाद भी संविधान में कुछ विषेश षक्तियॉ उन्हें दी गई हैं, जिससे वे देष के लोकतन्त्र ओर संविधान की रक्षा करते है । वर्तमान समय में लोगों द्वारा राश्ट्रपति के पद पर यह आरोप लगाया जाता है, कि यहपद रबर स्टैम्प का पद है, परन्तु यह सत्य नहीं हैं । आइए हम इस बात की विवेचना इतिहास में झंाककर करते है ।
1 सबसे पहलें बात करते है, देष प्रथम राश्ट्रपति डॅा राजेन्द्र प्रसाद की जो 1950 से लेकर 1962 तक राश्ट्रपति रहे थें । इनका कार्यकाल सभी राश्ट्रपति में सबसे लम्बा हैं। राश्ट्रपति बनने से पहले से संविधान के अध्यक्ष और स्वंतन्त्रता सेनानी भी रहे थें । राजेन्द्र प्रसाद और देष के पहले प्रधनमंत्री सेनानी भी रहे थें । राजेन्द्र प्रसाद और देष के पहले प्रधानमंत्री रण्स्ण् नेहरू के बीच हिन्दू कोड बील पर सहमति नहीं थी राजेन्द्र प्रसाद ने इस पर कई सवाल उठाये थे । इसी प्रकार राजेन्द्र प्रसाद के सोमनाद मंदिर (गुजरात) जाने से भी नेहरू सहमत नहीं थें नेहरू का मानना था, संवैधानिक पर पर रहते हुए राश्ट्रपति को धार्मिक कार्यक्रम में सामिल नहीं होना चाहिए जबकि राजेन्द्र प्रसाद को कहना था, सोमनाथ आक्रांताओं के सामने राश्ट्रीय गुरूर का प्रतीक है ।
2 भारत के दूसरे राश्ट्रपति डॅा सर्वपल्ली राधाकृश्ण थंे जो 1962 से 1967 तक राश्ट्रपति रहे । चीन से हार पर वह नेहरू संरकार पर जमकर बरसे थें । सर्वपल्ली राधाकृश्णन किसी मुददे पर अपनी राय देने और जरूरज पडे़ तो सरकार की आलोचना करने से नहीं चुकते थें । भारत में षिक्षक दिवस इनके जन्मदिन की याद में ही मनाया जाता है। मुस्लिम राश्ट्रपति थें । ये 1967 से 1969 तक राश्ट्रपति रहे ।
3.राश्ट्रपति के रूप में सबसे छोटा कार्यकाल जो लगभगा 1 वर्श 11 माह 20 दिन का था , इनका ही रहा ।
4.भारत के चौथे राश्ट्रपति वी.वी. गिरि (वराह वेकट गिरि) हुए। ये 1969 से 1974 तक भारत के राश्ट्रपति रहे। ये कांग्रेस के सदस्य थे। इन्होंने देष की पहली ‘‘रेलवे यूनियन‘‘ बनाई। ये नेहरू जी की सरकार में श्रम मंत्री भी रह चुके थे। इन्हें ‘‘भारत रत्न‘‘ का पुरस्कार भी दिया गया था। ये 1967 को देष के उपराश्ट्रपति बने, 1969 में राश्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद, वी.वी. गीरि ने उपराश्ट्रपति का पद त्याग कर राश्ट्रपति का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और चुनाव जीत कर राश्ट्रपति बने।
5 भारत के पॅाचवे राश्ट्रपति फखरूछीन अली अहमद बने । थें 1974 से 1977 तक राश्ट्रपति रहें। देष की प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के कहने पर इन्होने देष में राश्ट्रपति आपातवाल की घोशणा की थी (1975)
6 भारत के छठे राश्ट्रपति नीलम संजीव रेडडी बने। ये 1977 से 1982 तक राश्ट्रपति के पद पर रहे। ये राश्ट्रपति के पद पर चुने जाने वाले इकलौते ऐसे उम्मीदवार थें, जिन्हे निर्विरोध इस पद पर चुना गया था । ये राश्ट्रपाित भवन के बजाय किसी छोटे आवास में रहना चाहते थें परन्तु जब इन्हें समझाया गया की ऐसा करना सुरक्षा कारणों से उचित नहीं होगा तब वे मान गए ।
7 भारत के सातवंे राश्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह हुए । ये 1982 से1987 तक राश्ट्रपति के पद पर रहें । इन्होनें उस समय की राजीव गाँधी सरकार द्वारा पास किये गए “भरतीय डाकघर अधि.” पर “पॉकेट वीटो” का प्रयोग किया । पॉकेट वीटो की षक्ति द्वारा राश्ट्रपति को यह षक्ति दी गई है, कि संसद द्वारा पारित विधेयक (धन विधेयक और संविधान संषोधन विधेयक को छोड़कर ) को राश्ट्रपति या तो अनुमति देते है, या विधेयक को पुनविचार के लिए लौटा देते है या बिना हस्ताक्षर किये अपने पास रख लेते है, इस षक्ति को ही पॉकेट वीटों कहाँ जाता है, जिसका प्रयोग ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। यो राजीव गाँधी मंत्रिमण्डल से कई मुद्दो पर जानकारी भी लेते थे।
8 भारते के आठवें राश्ट्रपति आर वेकंटरमन हुए । जो 1987 से 1992 तक राश्ट्रपति रहे। इन्होने अपने कार्यकाल के दौरान 3 प्रधान मंत्रीयों (1988 अण्चण् सिंह को, 1989 में चंद्रषेखर को, 1919 में चण्अण् नरसिम्हा राव ) षपथ दिलवाई थी|
9 भारत के नवें राश्ट्रपति डॉ षंकर दयाल षर्मा हुए। जो 1992 से 1997 तक राश्ट्रपति रहें । इन्होने अपने कार्यकाल के दौरान आई सभी 14 दया याचिकाओं का खारिज किया था ।
10 भारत क दसवे राश्ट्रपति कोचेरिल रमन नारायणन हुए। जो 1997 से 2002 तक राश्ट्रपति रहे । ये देष के प्रथम दलित राश्ट्रपति थे। इसके समय में इन्होने 1997 में उत्तर प्रदेष में और 1998 में बिहार में क्रमष , च्ड प्ण्ज्ञण् गुजराल और च्ड अटल बिहारी बाजपेयी के राश्ट्रपति षासन लगाने की समय सलाह पर सवाल उठायें, और उन दों राज्यों में राश्ट्रपति षासन नहीं लगा ।
11.भारत के ग्यारहवे राश्ट्रपति डॉ. ।ण्च्ण्श्र अब्दुल कलाम (अबुल पाकिट जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम) हुए। ये 2002 से 2007 तक भारत के राश्ट्रपति रहें। ये प्ैत्व् ;प्दकपंद ेचंबम तमेमंतबी वतहंदप्रंजपवदद्ध में वैज्ञानिक रहे और च्ैस्ट;च्वसंत ेंजमससपजम संनबी अमीपबसमद्ध के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया,च्ैस्ट को श्जीम ूवता ीवतेम व िप्ैत्व्श् के नाम से जाना जाता है। इन्होंने भारत के लिए ‘‘अग्नि‘‘ और ‘‘पृथ्वी‘‘ मिसाइलों के विकास में महत्पूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए इन्हें ‘‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया‘‘ भी कहा जाता है। 1997 में इन्हें ‘‘भारत रत्न‘‘ पुरस्कार भी दिया गया।
12भातर की बारहवी राश्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पटिल हुई। ये भारत की प्रथम महिला राश्ट्रपति थी । ये 2007 से 2012 तक राश्ट्रपति रही। 13.भारत के तेरहवे राश्ट्रपति प्रणव मुखर्जी हुए। ये 2012 से 2017 तक राश्ट्रपति के पद पर रहे। ये ऐसे राश्ट्रपति हुए जिन्होंने सबसे ज्यादा 30 दया याचिकायें खारिज की। इन्होंने राश्ट्रपति के लिए उपयोग किये जाने वाले षब्द ‘‘महामहीम‘‘ को बन्द करवाया। 1967 में यक राज्यसभा में 2004 से 2006 के बीच रक्षा मंत्री रहे, और इसके बाद 3 साल के लिए विदेष मंत्री, फिर 2009 से 2012 के बीच वित्त मंत्री रहे। उन्हें सर्वश्रेश्ठ वित्त मंत्री का पुरस्कार भी दिया गया था। ‘‘क्षेत्रीय गा्रमीण बैंक‘‘ और श्छ।ठ।त्क्श् ;छंजपवदंस इंदा व िंहतपबनसजनतम ंदक तनतंस कमअमसवचउमदजद्ध बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। इन्हें 2019 में ‘‘भारत रात्न‘‘ पुरस्कार से नवाजा गया।
14. भारत के चौदहवे राश्ट्रपति रामनाथ कोविंद हुए। जो 2017 से 2022 तक राश्ट्रपति रहे। ये ‘‘सिविल सर्वंेट‘‘ भी रहे थे। 1971 में बवनदबपस व िक्मसीप ने कोविंद जी को ‘‘एडवोकट‘‘ का दर्जा दिया। ये 1998-2002 तक ‘‘बीजेपी दलित मोर्चा‘‘ और ‘‘ ऑल इंडिया फुली समाज‘‘ के अध्यक्ष रहंे। फिर ये उ.प्र. से राज्य सभा संासद के रूप में चुने गये। ये 12 वर्श तक संसद के सदस्य रहे। 2015 में ये बिहार के गवर्नर बने।
15. भारत की पंद्रहवी राश्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी ने 25 जुलाई 2022 को षपथ ली। ये भारत की दूसरी महिला और देष की पहली आदिवासी महिला राश्ट्रपति हैं। इन्होंने कुछ समय उड़िसा में एक षिक्षक के रूप में तथा ओड़िसा सिंचाई विभाग में जुनियर असिस्टेंट के रूप में कार्य किया। सन् 1997 मे नौकरी छोड़ पार्शद चुनाव लड़ा। सन् 2000 में ओड़िष विधान सभा की सदस्य बनी, ओड़िषा में इन्होनें परिवहन और वाणिज्य, मत्स्यपालन और पषुपालन विभागों को मंत्री के रूप में भी सम्भाला। 2015 में यें झारखण्ड की राज्यपाल बनी। द्रौपदी मुर्मू भारत की संथाल जनजाति से सम्बधित हैं। ये भारत की सबसे कम उम्र की राश्ट्रपति भी बन गई है, जिस दिन इन्होंने अपना नामांकन राश्ट्रपति पद के लिए भरा उस दिन उनकी उम्र 64 वर्श 46 दिन थी। ये भारत की पहली ऐसी राश्ट्रपति भी हैं, जिनका देष की आजादी के बाद हुआ है।
उपरोक्त राश्ट्रपतियों के जानकारी के आधार पर हम कह सकते है, कि संविधान राश्ट्रपति को कुछ ऐसी षक्तियाँ प्रदान करता है, जिसका उपयोग कर राश्ट्रपति देष के संविधान और लोकतन्त्रा की रक्षा करते है । अनुच्छेद - 78 के अनुसार राश्ट्रपति प्रधानमंत्री ओर उनके मंत्रीमण्डल से जुडे सभी निर्णय और कार्यो की जानकारी माँग सकते है। इस प्रकार राश्ट्रपति प्रकार राश्ट्रपति जी ‘‘वीटों‘‘ षक्ति का उपयोग कर किसी ऐसे कानून को बनाने से भी रोक सकते हैं, जो सरकार ने जल्दबाजी मे संसद में बनाया हो और जो देषहीत में न हों।
लेखिका- शम्भुनाथ विश्वकर्मा