वे केवल प्रवासी नहीं, बल्कि शाश्वत सभ्यता के दूत थे: त्रिनिदाद और टोबैगो में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन | The Voice TV

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वे केवल प्रवासी नहीं, बल्कि शाश्वत सभ्यता के दूत थे: त्रिनिदाद और टोबैगो में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

Date : 04-Jul-2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उनके सांस्कृतिक धरोहर, साहस और सभ्यतागत योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, "वे केवल प्रवासी नहीं थे, बल्कि एक चिरस्थायी (शाश्वत) सभ्यता के दूत थे।"

प्रमुख बातें:

भारतीय समुदाय का गौरवशाली योगदान:

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिनिदाद और टोबैगो में बसे भारतीय मूल के लोगों की यात्रा संघर्ष, साहस और संस्कृति से भरी रही है।

  • उन्होंने स्मरण किया कि कैसे भारतीय पूर्वज गंगा-यमुना को छोड़कर रामायण को दिल में संजोकर यहां आए और भारतीय मूल्यों को जीवित रखा।

ओसीआई कार्ड की पात्रता की घोषणा:

  • श्री मोदी ने घोषणा की कि त्रिनिदाद और टोबैगो में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक अब "ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI)" कार्ड के लिए पात्र होंगे।

  • यह सुविधा उन्हें भारत में रहने, काम करने और निवेश करने की स्वतंत्रता देगी।

धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव:

  • प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू जल को त्रिनिदाद लाने को सम्मान की बात बताया।

  • उन्होंने भारतीय समुदाय द्वारा पहले भेजी गई ‘शिला’ और पवित्र जल का उल्लेख करते हुए उन्हें भारत के प्रति भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बताया।

ऐतिहासिक यात्रा और सम्मान:

  • प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा त्रिनिदाद और टोबैगो की उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है और 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा भी है।

  • प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर और उनके मंत्रिमंडल ने श्री मोदी का गार्ड ऑफ ऑनर और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ स्वागत किया।

सामूहिक वार्ताएं और संसद को संबोधन:

  • प्रधानमंत्री की इस दो दिवसीय यात्रा में वे राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री बिसेसर से मुलाकात करेंगे।

  • वे त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद यात्रा भारतीय प्रवासी समुदाय के योगदान को सरकारी मान्यता देने और भारत-अफ्रीकी-कैरेबियाई रिश्तों को एक नई ऊँचाई पर ले जाने का प्रयास है।
उनका यह संदेश कि प्रवासी सिर्फ कामगार नहीं बल्कि संस्कृति और मूल्यों के वाहक हैं, भारत की वैश्विक सॉफ्ट पावर और सभ्यता की निरंतरता को दर्शाता है।

 
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