भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय की कथा उनके 'साहस की कहानी' है। भारतीय समुदाय के पूर्वजों ने जिन परिस्थितियों का सामना किया, वे सबसे मजबूत आत्माओं को भी तोड़ सकती थीं। बावजूद इसके उन्होंने उम्मीद के साथ कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने समस्याओं का डटकर सामना किया। गिरमिटिया के बच्चे अब संघर्ष से नहीं, सफलता, सेवा और मूल्यों से परिभाषित होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय के समक्ष उनके साहस और संघर्ष को रेखांकित किया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने 03 जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन का मूल पाठ जारी किया है।
अपनी मिट्टी छोड़ी, लेकिन अपनी आत्मा नहीं
उन्होंने कहा, ''आपके पूर्वजों ने गंगा और यमुना को पीछे छोड़ दिया, लेकिन अपने दिल में रामायण को लेकर आए। उन्होंने अपनी मिट्टी छोड़ी, लेकिन अपनी आत्मा नहीं। वे सिर्फ प्रवासी नहीं थे। वे एक कालातीत सभ्यता के संदेशवाहक थे। उनके योगदान ने इस देश को सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से लाभान्वित किया है। बस इस खूबसूरत देश पर आप सभी के प्रभाव को देखें।''
सफल व्यक्तियों की सूची बहुत लम्बी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कमला प्रसाद-बिसेसर इस देश की पहली महिला प्रधानमंत्री है। क्रिस्टीन कार्ला कंगालू महिला राष्ट्रपति के रूप में हैं। स्वर्गीय बासदेव पांडे एक किसान के बेटे हैं। वह प्रधानमंत्री और सम्मानित वैश्विक नेता बने। प्रख्यात गणित के विद्वान रुद्रनाथ कपिलदेव, संगीत आइकन सुंदर पोपो, क्रिकेट के प्रतिभाशाली डैरेन गंगा और सेवादास साधु जैसे लोगों की भक्ति ने समुद्र में मंदिर का निर्माण किया। सफल व्यक्तियों की सूची बहुत लम्बी है।
दाल पूरी में कुछ जादुई होना चाहिए
उन्होंने कहा कि गिरमिटिया के बच्चों, आप अब संघर्ष से परिभाषित नहीं होते। आप अपनी सफलता, अपनी सेवा और अपने मूल्यों से परिभाषित होते हैं। ईमानदारी से कहूं तो "डबल्स" और "दाल पूरी" में कुछ जादुई होना चाहिए - क्योंकि आपने इस महान राष्ट्र की सफलता को दोगुना कर दिया है। प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत-प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर,
मंत्रिमंडल के सदस्य, आज उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्ति, भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य, देवियो और सज्जनो के अभिवादन की शुरुआत नमस्कार!, सीता राम! और जय श्रीराम! से की।
हम एक परिवार का हिस्सा हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, " क्या आप कुछ याद कर सकते हैं…क्या संयोग है!
आज शाम आप सभी के बीच होना मेरे लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है। मैं प्रधानमंत्री कमला जी को उनके शानदार आतिथ्य और दयालु शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं कुछ समय पहले ही हमिंग बर्ड्स की इस खूबसूरत भूमि पर आया हूं। और, मेरा पहला जुड़ाव यहां भारतीय समुदाय के साथ है। यह पूरी तरह से स्वाभाविक लगता है। आखिरकार, हम एक परिवार का हिस्सा हैं। मैं आपकी गर्मजोशी और स्नेह के लिए आपका धन्यवाद करता हूं।"
हमारे संबंध भूगोल और पीढ़ियों से कहीं आगे
उन्होंने कहा, " जब मैं 25 साल पहले आखिरी बार आया था, तो हम सभी लारा के कवर ड्राइव और पुल शॉट की प्रशंसा करते थे। आज, सुनील नरेन और निकोलस पूरन हमारे युवाओं के दिलों में वही उत्साह जगाते हैं। तब से लेकर अब तक, हमारी दोस्ती और भी मजबूत हुई है। बनारस, पटना, कोलकाता, दिल्ली भारत के शहर हो सकते हैं। लेकिन वे यहां की सड़कों के नाम भी हैं। नवरात्रि, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी यहां हर्ष, उत्साह और गर्व के साथ मनाई जाती है। चौताल और बैठक गण यहां आज भी फल-फूल रहे हैं।
सचमुच, हमारे संबंध भूगोल और पीढ़ियों से कहीं आगे तक फैले हैं।"
राम धामदा पुरी सुहावनी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, " मैं प्रभु श्रीराम में आपकी गहरी आस्था को जानता हूं। 180 साल बीत गए, मन न भूलल हो, भजन राम के, हर दिल में गूंज हो। सांगरे ग्रांडे और डो गांव में रामलीलाएं वास्तव में अनूठी कही जाती हैं। श्रीराम चरित मानस में कहा गया है-राम धामदा पुरी सुहावनी। लोक समस्त बिदित अति पावनी।। इसका अर्थ है, प्रभु श्रीराम की पवित्र नगरी इतनी सुंदर है कि इसकी महिमा दुनिया भर में फैली हुई है। मुझे यकीन है कि आप सभी ने 500 साल बाद अयोध्या में राम लला की वापसी का बहुत खुशी के साथ स्वागत किया होगा। हमें याद है, आपने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पवित्र जल और शिलाएं भेजी थीं। मैं भी इसी तरह की भक्ति भावना के साथ यहां कुछ लाया हूँ। अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू नदी से कुछ जल लाना मेरे लिए सम्मान की बात है।" उन्होंने कहा, " आप सभी जानते हैं कि इस वर्ष की शुरुआत में दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम, महाकुंभ हुआ था। मुझे महाकुंभ का जल भी अपने साथ ले जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं कमला जी से अनुरोध करता हूं कि वे सरयू नदी और महाकुंभ का पवित्र जल यहां गंगा धारा में अर्पित करें। ये पवित्र जल त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों को आशीर्वाद दें।"
अतीत का मानचित्रण शुरू है
भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हम अपने प्रवासी समुदाय की शक्ति और समर्थन को बहुत महत्व देते हैं। दुनिया भर में फैले 35 मिलियन से अधिक लोगों के साथ, भारतीय प्रवासी हमारा गौरव हैं। जैसा कि मैंने अकसर कहा है, आप में से प्रत्येक एक राष्ट्रदूत है - भारत के मूल्यों, संस्कृति और विरासत का राजदूत। इस वर्ष, जब हमने भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी की, तो राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू जी हमारी मुख्य अतिथि थीं। कुछ साल पहले, प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर जी ने अपनी उपस्थिति से हमें सम्मानित किया था। प्रवासी भारतीय दिवस पर, मैंने दुनिया भर में गिरमिटिया समुदाय को सम्मानित करने और उनसे जुड़ने के लिए कई पहलों की घोषणा की। हम अतीत का मानचित्रण कर रहे हैं और उज्ज्वल भविष्य के लिए लोगों को करीब ला रहे हैं।"
गिरमिटिया समुदाय का व्यापक डेटाबेस जरूरी
उन्होंने कहा, " हम गिरमिटिया समुदाय का एक व्यापक डेटाबेस बनाने पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। भारत के उन गांवों और शहरों का दस्तावेजीकरण करना जहां से उनके पूर्वज पलायन कर गए, उन जगहों की पहचान करना जहां वे बस गए, गिरमिटिया पूर्वजों की विरासत का अध्ययन और संरक्षण करना और नियमित रूप से विश्व गिरमिटिया सम्मेलन आयोजित करने के लिए काम करना। यह त्रिनिदाद और टोबैगो में हमारे भाइयों और बहनों के साथ गहरे और ऐतिहासिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।"
छठी पीढ़ी को ओसीआई कार्ड देने की घोषणा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, " आज, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय प्रवासियों की छठी पीढ़ी को अब ओसीआई कार्ड दिए जाएंगे। आप केवल खून या उपनाम से ही जुड़े नहीं हैं। आप अपनेपन से जुड़े हैं। भारत आपकी ओर देखता है, भारत आपका स्वागत करता है और भारत आपको गले लगाता है। प्रधानमंत्री कमला जी के पूर्वज बिहार के बक्सर में रहा करते थे। कमला जी वहां जाकर भी आई हैं। लोग इन्हें बिहार की बेटी मानते हैं। यहां उपस्थित अनेक लोगों के पूर्वज बिहार से ही आए थे। बिहार की विरासत भारत के साथ ही दुनिया का भी गौरव है। लोकतंत्र हो, राजनीति हो, कूटनीति हो, हायर एजुकेशन हो, बिहार ने सदियों पहले दुनिया को ऐसे अनेक विषयों में नई दिशा दिखाई। मुझे विश्वास है, 21वीं सदी की दुनिया के लिए भी बिहार की धरती से, नई प्रेरणाएं, नए अवसर निकलेंगे।"
नए भारत के लिए आकाश भी सीमा नहीं
उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि आप में से हर कोई भारत के विकास पर गर्व महसूस करता है। नए भारत के लिए आकाश भी सीमा नहीं है। जब भारत का चंद्रयान चांद पर उतरा तो आप सभी ने खुशी मनाई होगी। जिस स्थान पर यह उतरा, हमने उसका नाम शिव शक्ति बिंदु रखा है। आपने हाल ही में एक खबर भी सुनी होगी। एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अभी भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर है। हम अब एक मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन - गगनयान पर काम कर रहे हैं। वह समय दूर नहीं जब कोई भारतीय चांद पर चलेगा और भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। हम अब तारों को सिर्फ गिनते नहीं हैं। आदित्य मिशन के रूप में उनके पास तक जाने का प्रयास करते हैं। हमारे लिए अब चंदा मामा दूर के नहीं हैं ।हम अपनी मेहनत से असंभव को भी संभव बना रहे हैं।
गरीबी को हराना मुश्किल नहीं, भारत ने दिखाया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय अर्थव्यवस्था का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जल्द ही हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएंगे। मोदी ने कहा कि भारत ने दिखाया है कि गरीबों को सशक्त करके गरीबी को हराया जा सकता है। पहली बार करोड़ों लोगों में विश्वास जागा है कि भारत गरीबी से मुक्त हो सकता है। विश्व बैंक ने पाया है कि भारत ने पिछले दशक में 250 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है। भारत की वृद्धि को हमारे नवोन्मेषी और ऊर्जावान युवाओं द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। आज, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है।
यूपीआई अपनाने पर बधाई दी
उन्होंने कहा कि भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है। दुनिया के लगभग 50 फीसद रियल-टाइम डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं। उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो को यूपीआई अपनाने पर बधाई दी। अब पैसे भेजना गुड मॉर्निंग टेक्स्ट मैसेज भेजने जितना आसान होगा। यह वेस्टइंडीज की गेंदबाजी से भी तेज होगा।
हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता बन गए हैं। हम दुनिया को रेलवे इंजन निर्यात कर रहे हैं। पिछले एक दशक में ही हमारे रक्षा निर्यात में 20 गुना वृद्धि हुई है।
आइए अपनी माटी में, जलेबी के साथ होगा स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का भारत अवसरों की भूमि है। चाहे वह व्यवसाय हो, पर्यटन हो, शिक्षा हो या स्वास्थ्य सेवा हो, भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर भारतीय समुदाय को व्यक्तिगत रूप से भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, अपने गांवों पर बच्चों को भी ले जाएं। भारत आप सभी खुले दिल से, गर्मजोशी से और जलेबी के साथ स्वागत करेगा। आखिर में उन्होंने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री कमला जी का विशेष रूप से आभार जताया। नमस्कार !, सीता राम ! और जय श्रीराम ! करते हुए उद्बोधन को विराम दिया।