नई दिल्ली, 15 जुलाई । भारत ने मंगलवार को चीन के तिआनजिन में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में वैश्विक अव्यवस्था, आर्थिक अस्थिरता और बढ़ते आतंकवाद पर चिंता जताई। पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए भारत ने सख्त कार्रवाई की जानकारी दी। भारत ने सहयोग, आपसी सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षित ट्रांजिट और अफगानिस्तान में विकास सहायता पर भी बल दिया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक के बाद एक्स पर बैठक से जुड़ी जानकारी साझा की। उन्होंने बैठक में कहा कि आज का वैश्विक परिदृश्य अस्थिरता, संघर्ष और आर्थिक संकट से ग्रस्त है। ऐसे समय में वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने और साझा चुनौतियों से निपटने के लिए सदस्य देशों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है। एससीओ जैसे प्रभावी मंचों की भूमिका बढ़ रही है। ऐसे में वैश्विक घटनाक्रमों को आकार देने की क्षमता सदस्य देशों की आपसी एकजुटता और साझा एजेंडे पर निर्भर करेगी।
जयशंकर ने कहा कि सदस्य देशों के बीच व्यापार, निवेश और संपर्क बढ़ाना आवश्यक है, परंतु इसके लिए एससीओ क्षेत्र के भीतर सुनिश्चित ट्रांजिट की सुविधा अपरिहार्य है। वर्तमान में इसकी अनुपस्थिति आर्थिक सहयोग के प्रयासों को कमजोर करती है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे को आगे बढ़ाने पर भी बल दिया।
विदेश मंत्री ने एससीओ में स्टार्टअप, नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी सहयोग की आधारशिला आपसी सम्मान, सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर टिकी होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना इसके प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है। भारत 2017 से एससीओ का पूर्ण सदस्य है।
विदेश मंत्री ने कहा कि एससीओ के तीन मूल लक्ष्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला इन खतरों का उदाहरण है। इसका उद्देश्य पर्यटन को नुकसान पहुंचाना और धार्मिक विद्वेष फैलाना था। यूएन सुरक्षा परिषद ने इसकी कड़ी निंदा की। भारत ने दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की है।
अफगानिस्तान के विषय पर भारत ने कहा कि यह मुद्दा लंबे समय से एससीओ के एजेंडे में है। क्षेत्रीय स्थिरता और अफगान जनता की भलाई दोनों ही इस पर निर्भर हैं। एससीओ सदस्यों को इस दिशा में विकास सहायता के लिए आगे आना चाहिए। भारत इसके लिए प्रतिबद्ध है।