भोपाल में होगी देश के सुविख्यात रंगगुरुओं की लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुतियां | The Voice TV

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भोपाल में होगी देश के सुविख्यात रंगगुरुओं की लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुतियां

Date : 22-Jul-2025

हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह 24 से 29 और भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी 25 से 28 जुलाई तक, 18 श्रेष्ठ रंगगुरु और विशेषज्ञों के होंगे वक्तव्य

भोपाल, 22 जुलाई । संस्कृति विभाग द्वारा मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के समन्वय से प्रकृति और भारतीय संस्कृति के प्रति आभार प्रकट करने के मूल भाव के साथ हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह एवं नाट्यशास्त्र पर केन्द्रित भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह अनूठा अवसर होगा, जब देश के सुप्रसिद्ध रंगगुरु, रंगकर्मी, रंग विशेषज्ञ एक स्थान पर एकत्रित होंगे। हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन 24 से 29 जुलाई तक रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि एवं अंजनी सभागार में और भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी 25 से 28 जुलाई तक रवीन्द्र भवन के गौरान्जनी सभागार में आयोजित की जाएगी।

संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने मंगलवार को मप्र जनजातीय संग्रहालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह कला और विचारों की एकता को दर्शाने वाला समारोह है। रंगमंच में विविधता के बीच संतुलन और संवाद का संदेश देता है। इस नाम से समारोह न केवल थिएटर का उत्सव होता है, बल्कि यह सांस्कृतिक समरसता, आध्यात्मिक गहराई और राष्ट्रीय विचारधारा की अभिव्यक्ति भी बन जाता है। इसके साथ ही श्रावण मास में हरियाली का उत्सव प्रकृति के पुनर्जीवन और मानव जीवन से गहरा जुड़ाव भी दर्शाता है। यह उत्सव हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने की भी प्रेरणा देता है। इसी प्रेरणा के भाव से हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। 24 जुलाई को इस समारोह का शुभारंभ भी हरियाली अमावस्या के दिन किया जा रहा है।

आने वाली पीढि़यों के लिए संदर्भ ग्रंथ, संस्कृति विभाग का स्थायी कार्य

राज्य मंत्री लोधी ने बताया कि नाट्यशास्त्र पर केन्द्रित भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य संस्कृति विभाग द्वारा स्थायी कार्य करना है। मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग प्रदेश एवं देश में वर्षभर अनेक सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करता है। जिसमें राज्य की कला एवं संस्कृति के दर्शन के साथ ही उत्कृष्ट प्रतिभाओं को भी अवसर प्राप्त होता है। संस्कृति विभाग द्वारा बीते कुछ वर्षों से यह भी प्रयास किया जा रहा है कि अकादमिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाए, ताकि स्थायी कार्य हो सके। नाट्यशास्त्र पर आयोजित होने जा रही राष्ट्रीय संगोष्ठी इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। इस संगोष्ठी में देश के सुविख्यात रंगकर्मी एवं नाट्य विशेषज्ञों के वक्तव्य होंगे, साथ ही नाट्य के क्षेत्र में शोध कर रहे शोधार्थी भी सम्मिलित होंगे। वे अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। वक्तव्यों एवं शोध पत्रों का संस्कृति विभाग द्वारा दस्तावेजीकरण किया जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ी को नाट्यशास्त्र और नाट्य के क्षेत्र में कार्य करने के लिए संदर्भ ग्रंथ उपलब्ध हो सकेगा।

देश भर से विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों की सहभागिता

संस्कृति संचालक एनपी नामदेव ने बताया कि इस संगोष्ठी में देश के प्रख्यात 15 से अधिक विश्वविद्यालय, नाट्य शिक्षा केन्द्र एवं अकादमियों के शोधार्थी एवं विद्यार्थियों भी सहभागिता कर रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, पंजाब विश्वविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, डॉ. डी.वाई. पाटिल विद्यापीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय सहित अन्य सम्मिलित हैं।

इन नाटकों की होगी प्रस्तुति

नामदेव ने बताया कि हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह के शुभारंभ दिवस 24 जुलाई को ''समुद्रमंथन'' नाटक की प्रस्तुति होगी। यह नाटक रंगमंडल, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली की प्रस्तुति है, जिसका निर्देशन सुविख्यात अभिनेता एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी द्वारा किया गया है। इसके अलावा 25 जुलाई को सुविख्यात रंगगुरु एवं विशेषज्ञ वामन केन्द्रे निर्देशित ''मोहे पिया'' नाटक का मंचन होगा। 26 जुलाई को पद्मश्री डॉ. पुरु दाधीच निर्देशित नाटक ''सुवसंतक'' और डॉ. संगीता गुंदेचा निर्देशित नाटक ''नाट्योत्पत्ति'' कथा का मंचन होगा। 27 जुलाई को सतीश दवे निर्देशित ''विश्वामित्र'' और स्वप्नकल्पा दास गुप्ता निर्देशित नाटक ''हर्षिता'' का मंचन होगा। 28 जुलाई को संगीत नाटक अकादमी, दिल्ली की अध्यक्ष और वरिष्ठ कलाकार डॉ. संध्या पुरेचा निर्देशित ''शीला... अंतरात्मा का स्वरूप'' नाटक मंचित होगा। अंतिम दिन 29 जुलाई को अंकित मिश्र के सह निर्देशन में ''चरैवेति'' नाटक का मंचन होगा। इस नाटक की मूल प्रस्तुति जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी की है, इसे रंग उत्सव नाट्य समिति, रीवा के कलाकार प्रस्तुत करेंगे।

नाट्यशास्त्र पर केन्द्रित भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी

भरतमुनि द्वारा नाट्यशास्त्र की रचना 2000 वर्ष पूर्व की गई थी। नाट्यशास्त्र भारतीय रंगमंच की सिर्फ एक पुस्तक नहीं, बल्कि उसकी आत्मा है। यह ग्रंथ महज अभिनय की तकनीकों का संग्रह नहीं, अपितु समग्र रंगकला, नृत्य, संगीत, साहित्य और सौंदर्यशास्त्र का एक विस्तृत विज्ञान है। नाट्यशास्त्र को वर्तमान परिपेक्ष्य में अध्ययन करने के उद्देश्य से भरतमुनि राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 25 से 28 जुलाई तक किया जा रहा है। पहले दिन 25 जुलाई को वाणी त्रिपाठी टिक्कू, दिल्ली का ''नाट्यशास्त्र की समसामयिकता'', संजय मेहता, भोपाल का ''नाट्यशास्त्र एवं वर्तमान रंगमंच की दशा और दिशा'', चित्तरंजन त्रिपाठी, दिल्ली का ''नाट्यशास्त्र की वर्तमान समय में उपयोगिता'' और विद्यानिधी वनारसे, पुणे का ''नाट्यशास्त्र और विश्व रंगमंच'' पर केंद्रित वक्तव्य होगा।

26 जुलाई को लोकेंद्र त्रिवेदी, दिल्ली का ''लोकनाट्य और नाट्यशास्त्र'', डॉ. रमाकांत पाण्डेय, भोपाल का ''नाट्यशास्त्र के भावपक्ष का वर्तमान प्रयोग'', डॉली ठक्कर अहमदाबाद का ''नायिका भेद: भाव और रस के संदर्भ में'', डॉ. महेश चंपकलाल, वडोदरा का ''नाट्यशास्त्र का पूर्वरंग विधान'',वामन केंद्रे, मुंबई का ''नाट्यशास्त्र के विस्तार की संभावना'' पर केंद्रित वक्तव्य होगा। 27 जुलाई को डॉ. पुरु दाधीच, इंदौर का ''नाट्यशास्त्र : प्रयोग विज्ञान'', देवेश चटर्जी, कोलकाता का ''नाट्यशास्त्र का आधुनिक रंगमंच में प्रयोग'', डॉ. नीना श्रीवास्तव, भोपाल का ''शास्त्रीय संगीत में भरत की अष्ट नायिका'', अखिलेन्द्र मिश्रा, मुंबई का ''अभिनय, अभिनेता और आध्यात्म'' और देवेन्द्रराज अंकुर, दिल्ली का ''आज का अभिनेता और नाट्यशास्त्र'' पर केंद्रित वक्तव्य होगा। संगोष्ठी के अंतिम दिन 28 जुलाई को पियाल भट्टाचार्य, कोलकाता का ''चारी, मंडल भेद और आंगिक अभिनय'', राजीव वर्मा, भोपाल का ''नाट्यशास्त्र का वास्तुशास्त्र से अन्तर्सम्बन्ध'', भार्गव ठक्कर, अहमदावाद का ''भरत का नाट्य मंडप'', डॉ. संध्या पुरेचा, मुंबई का ''सामान्य अभिनय अध्याय में स्त्री पात्रों की अंतरात्मा का स्वरूप'' पर केंद्रित वक्तव्य होगा।

 
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