नई दिल्ली, 13 नवंबर। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत मालदीव के अधिकारियों की क्षमता वृद्धि के लिए सार्वजनिक नीति, नीली अर्थव्यवस्था, महासागरीय तकनीक, स्टार्टअप नीति और बुनियादी ढांचा विकास जैसे क्षेत्रों में अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने को तैयार है। भारत की सशक्त सिविल सेवा प्रणाली विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक संस्थाओं के बीच समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिससे सुशासन और प्रशासनिक सुधारों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
डॉ. सिंह ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में मालदीव के 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से भेंट की। यह प्रतिनिधिमंडल मालदीव के नगर, स्थानीय सरकार और सार्वजनिक कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री अहमद सलीम के नेतृत्व में आया था। यह दल 3 से 14 नवंबर तक मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में “स्मार्ट सिटी मिशन” पर क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत मालदीव के अधिकारियों के लिए आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी तैयार करने के लिए तत्पर है। उन्होंने मालदीव के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत की विकास योजनाओं, विशेषकर प्रधानमंत्री गति शक्ति मिशन और महिलाओं के सशक्तीकरण योजनाओं से सीख लें। उन्होंने कहा कि भारत-मालदीव के बीच यह सहयोग दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा तथा साझा ज्ञान और अनुभव से सुशासन की नई दिशा स्थापित होगी।
राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक सुरेन्द्र कुमार बगड़े ने बताया कि संस्था मालदीव सहित कई देशों के अधिकारियों के लिए क्षेत्रवार और विशेष रूप से तैयार किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही है, ताकि वे अपने देशों के विकास कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें। मालदीव के राज्य मंत्री अहमद सलीम ने भारत सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए एक अनूठा सीखने का अवसर है। भारत का स्मार्ट सिटी मिशन तकनीक, सुशासन और नागरिक भागीदारी के संगम से सतत शहरी विकास का प्रेरक उदाहरण है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ने अगस्त 2024 में हुए समझौते के नवीनीकरण के बाद अब तक मालदीव के 1206 सिविल सेवकों को प्रशिक्षित किया है, जिनमें स्थायी सचिव, सचिव जनरल और उच्चस्तरीय प्रतिनिधि शामिल हैं।
