नई दिल्ली, 15 नवंबर । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा बिहार में कुल निर्वाचकों की संख्या में अंतर को लेकर उठाए गए सवालों पर चुनाव आयोग ने शनिवार को विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि 6 अक्टूबर को बताई गई संख्या और मतदान के बाद विज्ञप्ति में दर्शायी गई संख्या के बीच का अंतर निर्वाचन नियमों के अनुरूप वैध आवेदनों से जुड़े नए मतदाताओं के कारण हुआ है।
आयोग के अनुसार, 6 अक्टूबर को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा प्रेस नोट में बिहार में कुल निर्वाचकों की संख्या 7.42 करोड़ बताई गई थी। यह संख्या 30 सितंबर को विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित अंतिम निर्वाचक सूची पर आधारित थी। उस तारीख तक उपलब्ध आधिकारिक सूची में कुल 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज थे। चुनाव की घोषणा के बाद भी निर्वाचन नियमों के अनुसार, प्रत्येक चरण में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पूर्व तक पात्र नागरिक नया नाम जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बिहार चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथियां क्रमशः—पहला चरण: 17 अक्टूबर और दूसरा चरण: 20 अक्टूबर थी।
आयोग ने बताया कि 01 अक्टूबर से लेकर दोनों चरणों में नामांकन की अंतिम तिथि से 10 दिन पूर्व तक बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए। इन सभी आवेदनों की जांच की गई और जो भी आवेदन नियमों के अनुरूप पाए गए, उन्हें निर्वाचक सूची में शामिल किया गया। आयोग ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता मतदान के अपने अधिकार से वंचित न रहे। इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 30 सितंबर के बाद प्राप्त वैध आवेदनों को सम्मिलित करने पर निर्वाचकों की संख्या में लगभग तीन लाख की वृद्धि हुई। संशोधित संख्या—7.45 करोड़—का उल्लेख आयोग ने मतदान उपरांत जारी अपनी आधिकारिक विज्ञप्ति में किया है।
आयोग ने दोहराया कि मतदाता सूची में किया गया यह अद्यतन पूरी तरह नियमानुसार है और पारदर्शिता तथा समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
