प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में छठा रामनाथ गोयनका व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत विकसित और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने बताया कि जबकि दुनिया व्यवधान और अस्थिरता से प्रभावित है, भारत आत्मविश्वास के साथ उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत को केवल एक उभरता बाज़ार नहीं बल्कि एक उभरता मॉडल भी बताया, जिसे दुनिया आशा का मॉडल मान रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में यूरोपीय संकट और 2023 में पश्चिम एशिया की घटनाओं के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूती से जारी रही, और इस वर्ष भी वैश्विक अस्थिरता के बीच विकास दर लगभग 7 प्रतिशत बनी हुई है।
उन्होंने हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में रिकॉर्ड मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं का मतदान पुरुषों से लगभग 9 प्रतिशत अधिक रहा। उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताया और कहा कि बिहार के परिणाम भारत के लोगों की उच्च आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी राज्य सरकारों से बिहार के नतीजों से सीख लेने और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय विकास का लाभ सभी तक पहुँचाना आवश्यक है। उन्होंने पिछले 11 वर्षों में सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का उदाहरण दिया, जैसे 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण, 57 करोड़ जन धन बैंक खाते और 4 करोड़ पक्के घर। उन्होंने बताया कि आज लगभग 94 करोड़ भारतीय सामाजिक सुरक्षा के दायरे में हैं, जबकि एक दशक पहले यह संख्या केवल 25 करोड़ थी।
साथ ही, उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर के उदाहरण से यह बताया कि कैसे क्षेत्र अब विकास के पथ पर अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने स्थानीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्थानीय भाषाओं में शिक्षा पर विशेष ध्यान देती है, और सरकार अंग्रेज़ी के विरोध में नहीं है, बल्कि भारतीय भाषाओं के समर्थन में है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता विकास होना चाहिए और इसे केवल नीति तक सीमित न रखकर वास्तविक कार्यों में बदलना होगा।
