- सीबीडीटी ने प्रस्तावित नए फॉर्म पर 15 दिसंबर तक हितधारकों से मांगी राय
नई दिल्ली, (हि.स)। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी करदाताओं के लिए एक समान आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म लाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें डिजिटल एसेट्स से होने वाली इनकम को भी अलग से दर्ज किए जाने का प्रावधान होगा। इस प्रस्ताव के मुताबिक नए आईटीआर फॉर्म में डिजिटल परिसंपत्तियों से होने वाली आय को अलग से दर्ज करने का प्रावधान होगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि ट्रस्ट और गैर-लाभकारी संगठनों को छोड़कर बाकी सभी करदाता इस प्रस्तावित नए आईटीआर फॉर्म के जरिए अपना रिटर्न दाखिल कर कर सकते हैं। सीबीडीटी ने प्रस्तावित नए आईटीआर फॉर्म पर हितधारकों से 15 दिसंबर तक अपनी राय देने को कहा गया है। सीबीडीटी ने कहा कि सभी हितधारकों से मिले सुझावों के आधार पर तैयार इस साझा आईटीआर फॉर्म को अधिसूचित किया जाएगा। आयकर विभाग इसके ऑनलाइन उपयोग की जानकारी देगा।
सीबीडीटी ने कहा कि आईटीआर-1 और आईटीआर-4 आगे भी बने रहेंगे, लेकिन व्यक्तिगत करदाताओं के पास इस साझा आईटीआर फॉर्म के माध्यम से भी रिटर्न जमा करने का विकल्प होगा। सीबीडीटी के मुताबिक आईटीआर-7 फॉर्म को छोड़कर बाकी सभी आयकर रिटर्न वाले फॉर्म को मिलाकर एक साझा आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव है। दरअसल नए आईटीआर का मकसद व्यक्तियों और गैर-कारोबारी करदाताओं के लिए रिटर्न जमा करने को आसान बनाने और इसमें लगने वाले समय को कम करना है।
उल्लेखनीय है कि अभी छोटे और मझोले करदाताओं के लिए आईटीआर फॉर्म-1 (सहज) और आईटीआर फॉर्म-4 (सुगम) के जरिए आयकर रिटर्न दाखिल किए जाते हैं। सहज फॉर्म 50 लाख रुपये तक की सालाना वेतन वाले के लिए है, जबकि सुगम फॉर्म 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों एवं फर्मों के लिए तय है। आईटीआर-2 फॉर्म का इस्तेमाल आवासीय संपत्ति से इनकम पाने वाले लोग कर सकते हैं, जबकि आईटीआर-3 फॉर्म कारोबार और पेशे से लाभ कमाने वाले लोगों के लिए है। इसी तरह आईटीआर-5 और 6 फॉर्म सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) एवं कारोबारों के लिए निर्धारित है, जबकि आईटीआर-7 फॉर्म का इस्तेमाल ट्रस्ट कर सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश/सुनीत
