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साइबर ठगी के शिकार लोगों में आईटी में अग्रणी शहरों के लोग ज्यादा

Date : 06-Nov-2025

 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

यदि प्रश्न किया जाए कि देश में सूचना प्रोद्यौगिकी में सबसे आगे कौन-सा शहर है तो बिना किसी झिझक एक ही शब्द का उत्तर आयेगा- बेंगलुरु।बेंगलुरू सूचना प्रोद्यौगिकी का बड़ा हब है। उसकी वैश्विक पहचान आईटी हब के रुप में होती है। माना जाना चाहिए कि सूचना प्रोद्यौगिकी या यों कहें कि आईटी में बेंगलुरु वासियों की समझ देश के अन्य प्रदेशों के नागरिकों की तुलना में अधिक ही होगी। बेंगलुरु आईटी हब है तो निश्चित रुप से यहां के निवासियों का साक्षरता स्तर और समझ औरों से अधिक होगी।

अब तस्वीर का दूसरा पहलू जो सामने आता है वह यह कि देश में साइबर अपराधों से पीड़ितों की भी सबसे अधिक संख्या बेंगलुरु में ही है। साल दर साल साइबर अपराध से ग्रसित लोगों की संख्या बेंगलुरु में बढ़ती जा रही है। हालांकि दिल्ली, हैदराबाद आदि में भी साइबर अपराध से जुड़े मामलों की बड़ी संख्या है। देश के केवल तीन शहरों बेंगलुरु, दिल्ली एनसीआर और हैदराबाद में ही साइबर ठगी के अपराधों का प्रतिशत 65 फीसदी है। यह आंकड़ा केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए गठित इंडियन साइबर क्राइम कार्डिनेशन सेंटर आई4सी की हालिया रिपोर्ट में उभर कर आया है। रिपोर्ट के अनुसार अकेले बेंगलुरु में साइबर ठगी के 26.8 फीसदी मामले हो रहे हैैं तो दिल्ली एनसीआर में 18.4 और हैदराबाद में 19.97 प्रतिशत मामले सामने आ रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों की बात करें तो साल 2024 में 22845 करोड़ रुपए से अधिक की साइबर ठगी हुई है। इस साल के शुरुआती पांच माह की ही बात की जाए तो भारतीयों ने सात हजार करोड़ रु. से अधिक की राशि साइबर ठगी में गंवा चुके हैं। असल में साल दर साल साइबर ठगी के मामले और ठगी गई राशि में बड़ी बढ़ोतरी हो रही है। यह तब है कि सरकार ने साल 2018 में साइबर ठगी रोकने के लिए आई4सी का गठन किया है। समय-समय पर मोबाइल पर कॉल करते ही साइबर ठगी से बचने का संदेश कॉलर टोन के रुप में होता है तो सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर साइबर ठगों द्वारा अपनाये जाने वाले तरीकों से बचने के लिए आगाह किया जाता रहा है। एक और यह कि साइबर ठगी के खतरों से आज का लगभग प्रत्येक व्यक्ति वाकिफ है लेकिन गलती कर ही रहा है। फिशिंग, स्पूकिंग, स्पैम और साइबर स्टाकिंग के साथ ही डिजिटल अरेस्ट का आज मोबाइल एण्ड्रायड रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति जानकार है।

साइबर ठगी के अधिकांश शिकार पैसे वाले और उसमें भी अधिकांश उच्च पदों से रिटायर्ड अधिकारी होते हैं। उनकी समझ पर किसी तरह का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। यह सब होने के बावजूद चीन, म्यांमार, लाओस, थाईलैंड व ऐसे ही अन्य स्थानों से ठगों द्वारा भारतीयों को पैसे के लालच से जोड़ कर यह अपराध करवा रहे हैं। देखने में यह भी आया है कि साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट चंद मिनटों तक नहीं बल्कि एक-दो दिन या इससे भी अधिक दिनों तक रखकर आसानी से डरा-धमका कर खातों से मोटी धनराशि उगाह ले रहे हैं। इसके शिकार में फंसे लोग इस कदर भ्रमित हो जाते हैं कि लाखों-करोड़ों में राशि देते समय आगे-पीछे की सोचना भूल जाते हैं।

सरकार द्वारा साइबर ठगी के खिलाफ टोल फ्री नंबर जारी करने के साथ अवेयरनेस कार्यक्रम भी लगातार चलाया जा रहा है। आई4सी को सशक्त बनाया जा रहा है। 782 करोड़ रुपए के साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम हो रहा है। पर दशकों से हाईवे के किनारों पर दिखाई देने वाला स्लोगन सावधानी हटी-दुर्घटना घटी और सतर्कता ही बचाव है- एक समय भले यातायात सुरक्षा के प्रमुख अवेयरनेस संदेश होते थे पर लगता आज साइबर ठगी से बचने के लिए भी यह संदेश अधिक कारगर दिखाई दे रहे हैं। बार-बार यही कहा जाता है कि अनजान नंबरों से आने वाले वीडियो कॉल की अनदेखी करें। इसी तरह मोबाइल या मेल पर आने वाले अनजाने लिंक पर क्लिक करने से भी बचें। कोई कॉल या वीडियो कॉल पर किसी भी तरह का अफसर बनकर कॉल करे तो उसे तरजीह ना दें। ज्यादातर मामलों में आपको या आपके परिवार के निकटस्थ को अवैध गतिविधियों में लिप्त होने का झूठा भय दिखा कर ठगी की जा रही है। यह अब कोई नई बात नहीं रही। ऐसे में सावधानी बरत कर साइबर ठगी से बच सकते हैं।

डिजिटल अरेस्ट के हालात नहीं बनने दिए जा सकते हैं। जब घर में भी कोई सदस्य या परिचित रुपया-पैसा उधार मांगता है तो हम दस बार सोचते हैं, आनाकानी करते हैं तो फिर ना जाने ऐसा कौन-सा सम्मोहन या भय के हालात हो जाते हैं कि अपनी मेहनत की पूंजी को ठगों के हवाले कर देते हैं। ऐसे में सौ बात की एक बात यह है कि सतर्कता ही एकमात्र बचाव है। हमें सतर्क रहकर ही साइबर ठगों के जाल को नष्ट करना होगा। अन्यथा देश के सर्वाधिक जानकार, विशेषज्ञ और पढ़े-लिखे लोग ही अधिक शिकार हो रहे हैं तो फिर किसे दोष दिया जा सकता है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 
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