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अंतरिक्ष में इंसान को भेजने के लिए नासा ने तैयार किया पूरा प्लान, चांद को बेस के रूप में इस्तेमाल

Date : 18-Mar-2024

 

अगले कुछ वर्षों या दशकों में अगर चांद पर इंसानों के रहने के लिए इंतजाम हो जाएं और वहां से अंतरिक्ष में खोज की गतिविधियां संचालित होने लगें तो इसमें हैरान होने की बात नहीं है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इस बारे में संभावना पर काम कर रही है कि किस तरह चांद को एक बेस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

लंदन: सभ्यता की शुरुआत के साथ ही इंसान अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक रहा है। ये अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की चाह ही थी, जिसने इंसान को चांद तक पहुंचा दिया। लेकिन इंसान भले ही चांद तक पहुंच गया है, वैज्ञानिकों की दिलचस्पी आज भी चंद्रमा में कम नहीं हुई है। यही नहीं अंतरिक्ष की खोज में अब चंद्रमा इतना खास होने जा रहा है कि वैज्ञानिक अब वहांं बेस बनाने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने तो इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली है। ब्रिटिश अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. मैगी एडरिन-पोकॉक ने चंद्रमा पर बेस के महत्व के साथ ही नासा की आर्टेमिस परियोजना और चंद्रमा पर बेस की योजना के बारे में विस्तार से बताया है।

 

आखिर चांद पर बेस क्यों है खास?

 

हमारे सौरमंडल में धरती के सबसे करीब कोई पिंड है तो वह चंद्रमा ही है। दरअसल, सौर मंडल के दूसरे हिस्से में अगर कोई मिशन भेजा जाना है तो उसकी दूरी बहुत बढ़ जाएगी, ऐसे में मिशन की सफलता की सबसे अच्छी उम्मीद इस बात पर होगी कि सीधे पृथ्वी से जाने के बजाय बीच में कोई ऐसा बेस हो जहां से मिशन को लॉन्च किया जाए और वापस वहां सुरक्षित लौटा जा सके। इस काम के लिए चंद्रमा से बेहतर कोई जगह नहीं है। यही वजह है नासा की चांद पर एक बार फिर दिलचस्पी जागी है। नासा का आर्टेमिस मिशन के जरिए 50 साल के बाद पहली बार लोगों को चंद्रमा पर भेज रहा है।

 

 

चांद को बेस के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश

 

डॉ. मैगी एडरिन पोकॉक ने यूएनआईएलडी से बातचीत करते हुए बताया कि "नासा का आर्टेमिस मिशन इंसान को चांद पर भेज रहा है, लेकिन इसका असल उद्येश्य चंद्रमा को एक स्टेजिंग पोस्ट के रूप में इस्तेमाल करना है।" नासा ने खुद ही कहा है कि प्रोजेक्ट का उद्येश्य ये समझने की कोशिश होगा कि इंसान धरती से बाहर कैसे रह सकते हैं और इस विशाल नीले ग्रह से दूर मानव बस्ती कैसे बसाई जा सकती है। एडरिन ने आगे कहा, “चूंकि चंद्रमा पृथ्वी ग्रह से छोटा है, इसलिए इसमें गुरुत्वाकर्षण कम है। ऐसे में चांद्र से लॉन्च करना आसान हो जाता है और उससे हम मंगल जैसी जगहों के बारे में देखना शुरू कर सकते हैं।

 

एडरिन ने कहा कि मैं लगभग 30, 40, 50 वर्षों के बारे में बात कर रही हूं। तब लोग चांद पर एक इंसानी बेस होने और वास्तव में चंद्रमा पर रॉकेट बनाने और कम गुरुत्वाकर्षण के कारण उन्हें चंद्रमा से लॉन्च करने के बारे में सोच रहे हैं। वैज्ञानिक इस तर्क का इस्तेमाल उन लोगों को जवाब देने के लिए करते हैं, जो ये कहते हैं कि हमें चांद पर बेस बनाने के बजाय सीधे धरती से मंगल के लिए मिशन भेजना चाहिए। नासा ने कहा है कि आर्टेमिस अभियान के साथ हम वैज्ञानिक खोज और तकनीकी उन्नति के लिए चंद्रमा की खोज कर रहे हैं और यह सीखेंगे कि मंगल ग्रह पर मानव मिशन की तैयारी करते हुए हुए दूसरी दुनिया में कैसे रहना और काम करना है।

 

 
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