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कनाडा बनने जा रहा दुनिया की अगली न्यूक्लियर एनर्जी सुपरपावर!

Date : 14-Nov-2024

न्यूक्लियर ऊर्जा को लेकर पिछले कुछ वर्षों में दुनिया का दृष्टिकोण तेजी से बदल चुका है। ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन की सरकार के दौरान, देश की ऊर्जा जरूरतों का कम से कम 25 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा से उत्पन्न करने की नीति को आगे बढ़ाया गया, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यूरोपीय संघ में भी परमाणु ऊर्जा पर चर्चा हो चुकी है।

ओटावा: दुनिया में बढ़ते जलवायु संकट के समाधान के रूप में परमाणु ऊर्जा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, और इस संदर्भ में यूरेनियम भंडार का अहम योगदान हो सकता है। ऐसे में कनाडा की भूमिका भविष्य में न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकती है। यूरेनियम के विशाल भंडार के कारण कनाडा आने वाले वर्षों में न्यूक्लियर एनर्जी की सुपरपावर बन सकता है। यूरेनियम खनन में दो दशकों से सक्रिय कारोबारी लेह क्यूरीर का कहना है कि इस क्षेत्र में दुनिया का नजरिया तेजी से बदल रहा है।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना ने दुनिया का परमाणु ऊर्जा के प्रति नजरिया नकारात्मक बना दिया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इस बदलाव का असर यूरेनियम की वैश्विक कीमतों पर भी पड़ा है, जो इस साल 200 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई हैं। ऑस्ट्रेलिया में जन्मे कारोबारी लेह क्यूरीर का मानना है कि इस बदलाव का श्रेय उस नए दृष्टिकोण को जाता है, जो 2018 में बिल गेट्स द्वारा परमाणु ऊर्जा को 'जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आदर्श समाधान' बताने के बाद उत्पन्न हुआ।

कनाडा की बदलती तस्वीर!

लेह क्यूरीर, जो नेक्सजेन कंपनी के प्रमुख हैं, कनाडा के उत्तरी सस्केचेवान में स्थित यूरेनियम-समृद्ध अथाबास्का बेसिन में खनन कर रहे हैं। इस परियोजना की लागत लगभग चार अरब डॉलर है, और यह 2028 के बाद ही व्यावसायिक रूप से चालू हो सकेगी। अगर रेगुलेटर्स से मंजूरी मिलती है, तो नेक्सजेन का यह प्रोजेक्ट कनाडा को अगले दशक में दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक देश बना सकता है।

नेक्सजेन के अलावा, कई अन्य कंपनियां भी इस क्षेत्र में खनन परियोजनाओं की शुरुआत कर रही हैं, जिसके चलते कई निष्क्रिय खदानों को फिर से खोला जा रहा है। खनन कंपनियां कनाडा को परमाणु ऊर्जा के एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में देख रही हैं, जो वैश्विक यूरेनियम की बढ़ती मांग को पूरा कर सके। इसी तरह, सीओपी28 जलवायु सम्मेलन में दो दर्जन देशों ने 2050 तक अपने परमाणु ऊर्जा उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस संदर्भ में, भविष्य में परमाणु ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिए जाने की संभावना है।

परमाणु ऊर्जा: पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प

परमाणु ऊर्जा (न्यूक्लियर एनर्जी) को प्राकृतिक गैस या कोयले जैसे पारंपरिक ईंधनों के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन के लिए जाना जाता है। इस कारण, यह पर्यावरण पर कम प्रभाव डालती है और जलवायु संकट के समाधान के रूप में एक बेहतर विकल्प साबित होती है। विश्व परमाणु संघ के अनुसार, दुनियाभर में उत्पन्न होने वाली बिजली का 10 प्रतिशत परमाणु स्रोतों से आता है, जबकि 50 प्रतिशत से अधिक बिजली गैस और कोयले से बनती है। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर परमाणु ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

यूरेनियम: न्यूक्लियर एनर्जी का अहम घटक

न्यूक्लियर ऊर्जा के उत्पादन के लिए यूरेनियम की आवश्यकता होती है, जो दुनिया भर में पाया जाता है, लेकिन कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कजाकिस्तान में इसका सबसे बड़ा भंडार है। विश्व परमाणु संघ के अनुसार, कजाकिस्तान 2022 में 21,200 टन के साथ सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक था। इसके बाद कनाडा (7,400 टन), नामीबिया (5,600 टन), ऑस्ट्रेलिया (4,600 टन), उज्बेकिस्तान (3,300 टन), और रूस (2,500 टन) का स्थान आता है।

कनाडा का उच्च गुणवत्ता वाला यूरेनियम

मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के परमाणु इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, मार्कस पिरो का कहना है कि कनाडा के अथाबास्का क्षेत्र की खासियत यह है कि यहां का यूरेनियम विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाला है। पिरो के मुताबिक, कनाडा ने अपने यूरेनियम को अन्य देशों को बेचने के लिए सख्त नियम बनाए हैं, और इसे केवल परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग करने की अनुमति दी है।

कनाडा को 'टियर-वन परमाणु राष्ट्र' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह खनन से लेकर विनिर्माण तक परमाणु ईंधन का उत्पादन करने में सक्षम है। वर्तमान में, कनाडा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 13 प्रतिशत योगदान करता है। नेक्सजेन का अनुमान है कि जब इसकी खदान चालू होगी, तो यह कनाडा के उत्पादन को 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

 
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