प्राकृतिक सुंदरता व अनोखी समृद्ध जैव विविधता के कारण प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान | The Voice TV

Quote :

" सुशासन प्रशासन और जनता दोनों की जिम्मेदारी लेने की क्षमता पर निर्भर करता है " - नरेंद्र मोदी

Travel & Culture

प्राकृतिक सुंदरता व अनोखी समृद्ध जैव विविधता के कारण प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

Date : 08-Nov-2022

उद्यान में 25-27 नवंबर तक पक्षियों का होगा सर्वे, 11 राज्यों के 56 पक्षी विशेषज्ञ होंगे शामिल

रायपुर, 08 नवंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल स्थित जैव विविधता वाले कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पहली बार कांगेर घाटी पक्षी सर्वेक्षण का कार्य 25 नवंबर से 27 नवंबर 2022 तक किया जाएगा। इस सर्वेक्षण में देश के 11 राज्यों के 56 पक्षी विशेषज्ञों का चयन किया गया है। यह सर्वेक्षण बर्ड काउंट इंडिया एवं बर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ आफ छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया जाएगा। यह जानकारी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणविर ने दी है। यह राष्ट्रीय उद्यान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनोखी समृद्ध जैव विविधता के कारण प्रसिद्ध है।

राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक गणविर ने कहा कि यहां वन्य प्राणियों के साथ-साथ कई रंग-बिरंगी चिड़िया उड़ते हुए दिख जाती हैं। छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी पहाड़ी मैना इन्हीं जंगलों में निवास करती है। यह मानव आवाज की नकल करने में माहिर है। कांगेर घाटी नेशनल पार्क में पहाडी मैना के साथ भृंगराज, चित्तीदार उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, रैकिट टेल्ड ड्रोंगो, मोर, तोते, स्टैपी इगल, लाल फर वाला फाल, फटकार, भूरा तीतर, ट्री पाइ और हेरॉन पक्षी आदि सामान्यत: पाये जाते हैं। यहां पार्क की वनस्पतियों में मिश्रित नम पतझड़ी प्रकार के वन हैं, जिसमें मुख्यत: साल, टीक और बांस के पेड़ हैं। वास्तव में कांगेर धाटी भारतीय उपमहाद्वीप में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां अब तक इन अछूते और पहुंच से दूर वनों का एक हिस्सा बचा हुआ है।

कांगेर घाटी नेशनल पार्क में पाए जाने वाले प्रमुख जीव-जंतुओं में बाघ, चीते, माउस डीयर, जंगली बिल्ली, चीतल, सांभर, बार्किंग डीयर, भेडिए, लंगूर, रिसस मेकाका, स्लॉथ बीयर, उड़ने वाली गिलहरी, जंगली सुअर, पट्टीदार हाइना, खरगोश, अजगर, कोबरा, घडियाल, मॉनिटर छिपकली तथा सांप हैं।

कांगेर घाटी पक्षी सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान से प्रतिभागी शामिल होंगे। तीन दिनों तक पक्षी विशेषज्ञ कांगेर घाटी के अलग-अलग पक्षी रहवासों का निरीक्षण कर यहां पाई जाने वाली पक्षियों का सर्वेक्षण करेंगे। इस सर्वेक्षण से राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन में सहायता होगी तथा ईको-टूरिज्म में बर्ड वाचिंग के नए आयाम सम्मिलित होंगे। यह वन्य क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण एवं वनस्पतियों और जीव की विशाल प्रजातियों की रक्षा करने के उद्देश्य से 22 जुलाई 1982 को स्थापित किया गया था।

जगदलपुर जिला केंद्र से मात्र 27 किलोमीटर और रायपुर जिला केंद्र से करीब 330 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से निकला है, जो इसकी लंबाई में बहती है। कांगेर घाटी लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कांगेर घाटी ऊंचे पहाड़, गहरी घाटियां, विशाल पेड़ और मौसमी फूलों एवं वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए अनुकूल जगह है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का विशिष्ट मिश्रण है, जिसमें साल, सागौन, टीक और बांस के पेड़ हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान तीन असाधारण कुटुम्बसर, कैलाश और दंडक-स्टेलेग्माइट्स और स्टैलेक्टसाइट्स गुफाओं के आश्चर्यजनक भूगर्भीय संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह राष्ट्रीय उद्यान ड्रिपस्टोन और फ्लोस्टोन के साथ भूमिगत चूना पत्थर की गुफाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/केशव शर्मा

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement