उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम को हिमवत वैराग्य पीठ कहा जाता है। यह स्थान न केवल भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह धाम पंच पर्वत और पंच जलधाराओं – मंदाकिनी, मधु गंगा, दुग्ध गंगा, सरस्वती और स्वर्गगौरी – के संगम की भूमि है।
यहाँ केवल दर्शन मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए केदारनाथ को वैराग्य और मोक्ष की भूमि माना जाता है। यहाँ पिंडदान और पितृ तर्पण का विशेष धार्मिक महत्व है। देशभर के पंचपीठों में केदारनाथ को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
पौराणिक मान्यताएँ और कथा
केदारनाथ का संबंध नर-नारायण ऋषि, पांडवों, और आदि गुरु शंकराचार्य से जुड़ा है। मान्यता है कि नर-नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहाँ सदैव निवास करने का वचन दिया था।
महाभारत काल में, पांडवों ने गुरु और गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की खोज की। भगवान शिव पांडवों से बचने के लिए भैंस का रूप धारण कर भूमिगत होने लगे, परन्तु भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली। इस घटना में शिव का पृष्ठ भाग पृथ्वी पर रह गया, जो आज स्वयंभू लिंग के रूप में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कहलाता है। यहीं पांडवों को भगवान शिव ने दर्शन देकर पापमुक्त किया।
कुंड और पूजा विधान
मंदिर परिसर में उदक कुंड, रेतस कुंड और अमृत कुंड हैं। हंस कुंड और हवन कुंड का अब तक पता नहीं चल पाया है, विशेष रूप से आपदा के बाद से। भक्त यहां भगवान के स्वयंभू लिंग पर दूध, घी, चंदन और मक्खन का लेपन करते हैं। यह प्रक्रिया भगवान और भक्त के सीधा मिलन का प्रतीक मानी जाती है। जब तक स्वयंभू लिंग पर लेपन नहीं होता, पूजा अधूरी मानी जाती है।
आदि गुरु शंकराचार्य का योगदान
नवम शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस प्राचीन मंदिर का पुनरुद्धार किया। यह भी मान्यता है कि उन्होंने यहीं से स्वर्गगमन किया था। उनकी समाधि मंदिर के पीछे स्थित है, जो तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र है। शंकराचार्य ने यहां अपने पितरों का तर्पण भी किया था।
शिवभक्ति का सर्वोच्च स्थल
केदारनाथ भारतवर्ष के पाँच प्रमुख शिव शक्ति पीठों में से एक है:
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हिमवत वैराग्य पीठ – केदारनाथ (उत्तराखंड)
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सूर्य पीठ – श्रीशैल (आंध्र प्रदेश)
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ज्ञान पीठ – काशी (उत्तर प्रदेश)
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वीर पीठ – कर्नाटक
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सधर्म पीठ – उज्जैन (मध्य प्रदेश)
वरिष्ठ तीर्थपुरोहित और पुजारी बताते हैं कि केदारनाथ में दर्शन, स्पर्श और पूजा से भक्त न केवल पवित्र होते हैं, बल्कि मोक्ष प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि यह धाम केवल तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति का द्वार है।
