रायपुर स्थित कंकाली माता मंदिर वैसे तो घनी आबादी के बीचो बीच बसा है लेकिन इसकी ख्याति तांत्रिक पीठ के रूप में है। मंदिर को लेकर कई किवदंतियां है।कहा जाता है कि कंकाली मठ के पहले महंत कृपालु गिरी को देवी ने सपने में दर्शन देकर कहा था कि मुझे मठ से हटाकर तालाब के किनारे स्थापित करो देवी की बात मानकर ही महंत ने तालाब के किनारे देवी की अष्टभुजी प्रतिमा को प्रतिष्ठित करवाया।कंकाली माता मंदिर आने वाला हर शख्स देवी से जुड़े चमत्कारों को मानता है। नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले भगवान भैरवनाथ के दर्शन होंगे जो अस्त्र-शस्त्र के साथ देवी के गर्भगृह की रखवाली कर रहे हैं।
भारत में अखाड़ा और नागा साधुओं की दुनिया हमेशा से रहस्यमयी रही है। नागा साधुओं के तंत्र-मंत्र, इनकी सिद्धी और उपासना हमेशा रहस्यों से भरी हुई होती है। रायपुर के कंकाली माता मंदिर और कंकाली मठ का इतिहास भी नागा साधुओं की साधना से जुड़ा हुआ है। नागा साधुओं ने ही शमशान घाट पर देवी के इस मंदिर की स्थापना की थी। 13 वीं शताब्दी में दक्षिण भारत से कुछ नागा साधुओं की टोली यहां से गुजरी। तब इस जगह पर शमशान घाट हुआ करता था। नागा साधुओं ने अपने सिद्धि और तप के लिए यहां मठ की स्थापना की।
17 वीं शताब्दी में कृपालु गिरी इस मठ के पहले महंत हुए। कृपालु गिरि के बाद उनके शिष्य भभुता गिरी ने मंदिर की बागडोर संभाली और उनके बाद उनके शिष्य शंकर गिरि ने..कंकाली मंदिर में एक और मान्यता है कि मंदिर प्रतिष्ठा के बाद महंत कृपाल गिरि को कंकाली देवी ने साक्षात कन्या के रूप में दर्शन दिया था। लेकिन महंत देवी को नहीं पहचान पाए और देवी का उपहास कर बैठे जब उनको अपनी गलती का अहसास हुआ तब महंत कृपालु गिरी ने मंदिर के बगल में ही जीवित समाधी ले ली। महंत के समाधि स्थल के पास ही शिवलिंग की स्थापना की गई है। बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले तक यह जगह जो आज पूरी तरह भरी हुई है, बिल्कुल वीरान जंगल और श्मशान हुआ करती थी। इस जगह पर तंत्र-मंत्र करने वाले नागा साधूओं ने यहां पर कंकाली माता के मंदिर और शिवलिंग का निर्माण करवाया।
काफी समय तक इस मंदिर में नागा साधू भगवान शिव की पूजा अर्चना करने आते थे, पर अचानक यहां पर ऐसा चमत्कार हुआ कि धरती से पानी की धारा फूट पड़ी और मंदिर पूरी तरह से तालाब में डूब गया। इसके बाद कई बार तालाब के पानी को निकाल कर भगवान के मंदिर को लोगों के लिए दोबारा खुलवाने की कोशिश की गई, पर आज तक इस मंदिर का पानी नहीं सूखा।
यहां कंकाली माता की पूजा के बाद होती है भगवान शिव की पूजा
यहां के पंडितों का मानना है कि यहां पर सदियों से कंकाली माता की पूजा भगवान शिव से पहले की जाती है। इसके बाद ही तालाब के ऊपर से ही भगवान शिव की अराधना की जाती है। बताया जाता है कि महंत कृपाल गिरी महाराज ने एक सपने के आधार पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
भीषण गर्मी में भी नहीं सूखता तालाब
गर्मी के समय जब राजधानी के नदी व तालाब सूखने लगते हैं तब भी छत्तीसगढ़ का ये चमत्कारी कंकाली तालाब हमेशा की तरह लबालब भरा रहता है। इसी कारण आज तक कोई भी इस तालाब में डूबे मंदिर के दर्शन नहीं कर पाया है।
तालाब में डूबकी लगाने से मिलती है रोगों से मुक्ति
यहां के लोगों का मानना है कि इस तालाब के पानी में ऐसी शक्ति है कि यहां पर स्नान करने से कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से राहत मिलता है। इस तालाब के पानी में स्नान करने से चर्मरोग और खुजली जैसी समस्याओं का निवारण तुरंत हो जाता है। इसके अलावा इस तालाब के पानी में कई प्रकार के औषधीय गुण पाया जाता है।
