गुवाहाटी (हि.स.)। पूर्वोत्तर का क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों, अपनी विरासत, विभिन्न खानपान, भाषा, संस्कृति से समृद्ध है। हालांकि, पूर्वोत्तर की इन खूबियों को देश और विदेश में और प्रचारित करने की आवश्यकता है। पूर्वोत्तर राज्यों की इन खूबियों को अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल पीबी आचार्य ने भी कई बार उजागर किया है। वे पूर्वोत्तर की खूबियों का जमकर बखान करते रहे हैं। ऐसी धारणा है कि देश में अमेरिका, यूरोप व अन्य देशों की तुलना में पूर्वोत्तर के बारे में प्रचार प्रसार करने की और जरूरत है। पूर्वोत्तर के बारे में कुछ ऐसे तथ्य हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह क्षेत्र संस्कृति, भौगोलिक, भाषा आदि के बारे में कितना समृद्ध है। पूर्वोत्तर के आठ राज्य अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, असम, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम और नगालैंड हैं। पूर्वोत्तर में लगभग 220 भाषाएं बोली जाती हैं, यह तिब्बती, दक्षिण-पूर्व एशियाई और पूर्वी भारतीय संस्कृतियों का मिश्रण है। भारत का पूर्वोत्तर एकमात्र हिस्सा है जिसे मुगल जीत नहीं सके थे। अहोम राजवंश जिसने 600 वर्षों तक पूर्वोत्तर पर शासन किया, भारतीय इतिहास का सबसे लंबा अखंड राजवंश है। विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली और विश्व का सबसे छोटा नदी द्वीप उमानंदा दोनों ही पूर्वोत्तर के असम राज्य में स्थित है। भारत के सात प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान पूर्वोत्तर में स्थित हैं। शिलांग को भारत का रॉक कैपिटल माना जाता है। मेघालय में मौसिनराम ने पृथ्वी पर सबसे गीला स्थान होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। असम में सुआलकुची दुनिया के सबसे बड़े कपड़े की बुनाई वाले गांवों में से एक है, जहां पूरी आबादी रेशमी कपड़े बुनने में लगी हुई है। मूंगा असम का स्वर्ण रेशम, विश्व में और कहीं भी उत्पादित नहीं होता है। यह भारत का सबसे स्वच्छ क्षेत्र है। मेघालय का मावलिंग पूरे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है। देश के आर्किड का 70 प्रतिशत हिस्सा पूर्वोत्तर में पाया जाता है। मिजोरम और त्रिपुरा भारत में उच्चतम साक्षरता दर वाले राज्यों में से एक हैं। पूरे पूर्वोत्तर में दहेज संस्कृति नहीं के बराबर है। सिक्किम दुनिया का पहला ऐसा राज्य है जहां की 100 प्रतिशत कृषि उपज जैविक आधारित है। इस तरह पूर्वोत्तर अपनी संस्कृति, विरासत, भाषा, खानपान, पहनावा, प्राकृतिक संसाधन, खनिज संपदा, नदी, पहाड़, जंगल व हरित वन क्षेत्र से ओतप्रोत है। इसके बावजूद इन सब खूबियों को देश-विदेश में इस क्षेत्र को और प्रचारित करने की आवश्यकता है, ताकि लोग इस क्षेत्र की सुंदरता को जान पाएं। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद
