मिज़ोरम की संस्कृति
मिज़ो के सांस्कृतिक जीवन में नृत्य और संगीत मूल तत्त्व हैं। यहाँ के त्योहारों में ईसाई धर्म के पर्व और स्थानीय कृषि त्योहार (मिज़ो में पर्व को कुट कहते हैं), जैसे चपचारकुट, पाल कुट और मिमकुट शामिल हैं। आइज़ोल में पूर्वोत्तर विश्वविद्यालय का परिसर स्थित है।
मिजोरम देश के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य है। मिजोरम की राजधानी और राज्य का सबसे बड़ा शहर आईजोल है। राज्य के पश्चिम में बांग्लादेश से, पूर्व और दक्षिण में म्यांमार, उत्तर में मणिपुर, असम और त्रिपुरा से स्थित है। मिज़ोरम एक पर्वतीय प्रदेश है। मिजोरम राज्य को “पूर्व का सॉन्ग बर्ड” भी कहा जाता है।
मिजोरम का इतिहास
साल 1891 में अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बाद राज्य पर कुछ वर्षो तक उत्तर का लुशाई पर्वतीय क्षेत्र असम के और आधा दक्षिणी भाग बंगाल के अधीन रहा। वर्ष 1898 में दोनों को मिलाकर एक ज़िला बनाया गया जिसे पड़ा-लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था। सन 1972 में केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले तक यह असम का एक ज़िला था। साल 1972 में पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन अधिनियम लागू होने पर मिज़ोरम केंद्रशासित प्रदेश बन गया। वर्ष 1986 में भारत सरकार और मिज़ो नेशनल फ़्रंट के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ जिसके फलस्वरूप 20 फ़रवरी 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और इस प्रकार मिजोरम देश का 23वां राज्य बना।
मिजोरम की संस्कृति
मिजोरम राज्य संगीत और संस्कृति में बहुत आगे है, यहाँ के लोगो को संगीत बहुत पसंद है। राज्य के लोग ड्रम बजाते हैं जिन्हें खौंग कहते हैं जो लकड़ी और पशुओं की चर्बी से बने होते है। मिज़ोरम के प्रसिद्ध लोकप्रिय नृत्यों के मुख्य रूप चैरो, छेह लाम और खुल्लम शामिल है। यहाँ के लोग सरल, सुंदर, रंगीन और सुंदर डिजाइन से लोगो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
मिजोरम के प्रसिद्ध त्यौहार
मिज़ो लोगों के विभिन्न त्यौहारों में से आजकल केवल तीन मुख्य त्योहार ‘चपचार’, ‘मिम कुट’ और ‘थालफवांगकुट’ मनाए जाते हैं। हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में होली, दशहरा, दीपावली, गणेश चतुर्थी है। राज्य में ईसाई लोगो की अधिक संख्या होने के कारण क्रिसमस का त्योहार भी मनाया जाता है।
मिजोरम की जंजातियाँ
राज्य में मिजो लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है। मिजो स्वयं कई अन्य प्रजातियों में बँटे हैं जिनमें सबसे अधिक सँख्या लुशाई लोगों की है जो राज्य की आबादी का दो तिहाई से ज्यादा है। मिजोरम की जनजातियों में मुख्य रूप से राल्ते, म्हार, पोई और पवाई समुदायें के लोग निवास करते है। गैर मिजो प्रजातियों में सबसे प्रमुख चकमा प्रजाति है। राज्य की लगभग 85% से ज्यादा आबादी ईसाई हैं और इनमे से ज्यदातर प्रेसबिटेरियन और बैप्टिस्ट है।
जनजीवन
मिज़ोरम की आबादी विभिन्न समूहों के मेल से बनी है, जिन्हें आमतौर पर मिज़ो कहते हैं, स्थानीय भाषा में जिसका अर्थ उच्च भूमि के निवासी है। इस क्षेत्र की जनजातियों, जिनमें से कई पहले मनुष्यों का शिकार करती थीं, में कूकी, पावी, लखेर और चकमा शामिल हैं। इन्हें तिब्बती-बर्मी लोगों के वर्ग में रखा गया है और ये कई तिब्बती-बर्मी बोलियों का उपयोग करते हैं; कुछ जनजातियाँ इतनी अलग-थलग हैं कि उनकी बोली पड़ोसी घाटी में रहने वालों को भी समझ में नहीं आती है। जनसंख्या का घनत्व 42 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। उत्तर से दक्षिण की ओर घनत्व कम होता जाता है, क्योंकि दक्षिण की ओर आर्द्रता तथा तापमान में वृद्धि होती जाती है, जो निवास के लिए अनुपयुक्त स्थिति है। पश्चिम से पूर्व की ओर भी घनत्व में कमी आती है। इस क्षेत्र में 22 शहर और 699 गांव हैं, जिनमें से 663 तक बिजली पहुँच गई है। लगभग 95 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है।