"मेरे भाई कोई विशेष विद्वान् नहीं, साधारण ही हैं | इसलिए दूसरे ब्राम्हणों की तरह इन्हें भी दो रूपये देना ही ठीक होगा | रामशास्त्री के पास भाई -भतीजे के लिए किसी प्रकार के पक्षपात की कतई गुंजाइश नहीं है |" - रामशास्त्री के करारी और दृढ़निश्चयी स्वभाव से भलीभांति परिचित थे | रामशास्त्री ने भाई को दो रुपये दिए और वे भी उसे दो रूपये लेकर चुपचाप चलते बने |