यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि किसी न्यायालय द्वारा संघ को गैर राजनीतिक संगठन मानने का यह पहला मौका नहीं है। अतीत में भी मैसूर हाईकोर्ट और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा भी इसी तरह के फैसले दिए जा चुके हैं।1967 में संघ की गतिविधियों में भाग लेने के कारण सेवा मुक्त कर दिए गए एक शासकीय कर्मचारी की याचिका पर फैसला देते हुए कहा था हाईकोर्ट ने कहा था कि संघ एक राजनीतिक संगठन नहीं अतः उसकी गतिविधियों में भाग लेने के कारण किसी सरकारी कर्मचारी को सेवा मुक्त नहीं किया जा सकता।इसी तरह 1966 में मैसूर हाईकोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी की याचिका पर अपने फैसले में कहा था कि प्रथम दृष्टया संघ एक गैर राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन है जो किसी भी गैर हिन्दू के प्रति घृणा एवं द्वेष की भावना से मुक्त है। संघ ने भारत में लोकतांत्रिक पद्धति को स्वीकार किया है अतः उसकी गतिविधियों में भाग लेने के कारण किसी सरकारी कर्मचारी को सेवा मुक्त नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही मैसूर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार याचिका कर्ता कर्मचारी की सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया था।
अबकि केंद्र सरकार शासकीय कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में भाग लेने से रोकने वाला 58 साल पुराना प्रतिबंध हटा दिया है, संघ के विचारों से सहमति रखने वाले शासकीय कर्मचारियों में हर्ष व्याप्त है वहीं दूसरी ओर कुछ विपक्षी दल सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए यह भी कह रहे हैं कि यह फैसला संघ और सरकार के बीच कुछ समय से जारी विवाद को शांत करने के इरादे से किया गया है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि सरकार ने यह फैसला पहले ही ले लिया होता तो शायद विपक्षी दलों को ऐसी टीका करने का मौका हाथ नहीं लगता लेकिन फिर भी इसे देर से लिया गया सही फैसला कहना ग़लत नहीं होगा। जो विपक्षी दल संघ कीप विचारधारा से असहमत होकर इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं उन्हें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए समर्पित संघ के 99 वर्षों के सफर में व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में उसके उत्कृष्ट योगदान पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। युद्ध काल हो अथवा अभूतपूर्व विश्व व्यापी कोरोना संकट हो, संघ के कार्य कर्ताओं ने हमेशा सेवा कार्यों में तत्परता पूर्वक आगे आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस समय संघ के द्वारा देश भर में लगभग दो लाख सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। संघ अपने पचास से अधिक आनुषंगिक संगठनों के माध्यम से समाज के हर वर्ग की सेवा में जुटा हुआ है। राष्ट्र का परम वैभव उसका परम लक्ष्य है। यही कारण है कि संघ ने दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन होने का गौरव अर्जित किया है। ऐसे सेवा भावी संगठन की गतिविधियों में भाग लेने से सरकारी कर्मचारियों को रोकने वाला प्रतिबंध हटाने का सरकार ने जो फैसला किया है उसे देर आयद दुरुस्त आयद कहना ही उचित होगा।
लेखक:- कृष्णमोहन झा
