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चाणक्य नीति:- ये बातें एक बार ही होती हैं

Date : 14-Aug-2024

 सकृज्जल्पन्ति राजानं सकृज्जल्पन्ति पंडिता: |

सकृत्कन्या: प्रदीयन्ते त्रीन्येतानि सकृत्सकृत ||

आचार्य चाणक्य यहां संयत और एक ही कार्य करने के संदर्भ में कहते हैं, कि राजा लोग एक ही बार बोलते हैं, पंडित भी एक ही बार बोलते हैं  तथा कन्यादान भी एक ही बार होता है  ये तीनों कार्य एक- एक बार ही होते हैं |

आशय यह है कि राजा का आदेश  एक ही बार होता है |

विद्वान लोग भी एक बात को एक ही बार कहते हैं |

कन्यादान भी जीवन में एक ही बार किया जाता है |

इस प्रकार चाहे राजा हो या विद्वान या फिर कन्याओं के विवाह- संबंध आदि के लिए माता-पिता का वचन अटल होता है, तीनों- राजा, पंडित तथा माता-पिता द्वारा बोले वचन लौटाए नहीं जाते, अपितु निभाये जाते हैं, उनके निभाने या पूरा करने में ही उनकी महानता होती है | अर्थात जिसे जो अच्छा काम करना होता है, वह करता है, उसे बार-बार कहने कि आवश्यकता नहीं होती,  यही बड़े व्यक्तियों का आदर्श रूप है |

 
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