सकृज्जल्पन्ति राजानं सकृज्जल्पन्ति पंडिता: |
सकृत्कन्या: प्रदीयन्ते त्रीन्येतानि सकृत्सकृत ||
आशय यह है कि राजा का आदेश एक ही बार होता है |
विद्वान लोग भी एक बात को एक ही बार कहते हैं |
सकृज्जल्पन्ति राजानं सकृज्जल्पन्ति पंडिता: |
सकृत्कन्या: प्रदीयन्ते त्रीन्येतानि सकृत्सकृत ||
आशय यह है कि राजा का आदेश एक ही बार होता है |
विद्वान लोग भी एक बात को एक ही बार कहते हैं |