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सफलता एक योग्य लक्ष्य या आदर्श की प्रगतिशील प्राप्ति है - अर्ल नाइटिंगेल

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चाणक्य नीति:- इनसे सुख मिलता है

Date : 07-Aug-2024

 संसारातपदग्धानां त्रयो विश्रांतिहेवय: |

अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव ||

यहां आचार्य चाणक्य व्यक्ति को दुःखों में शांतिदायी वस्तुओं की चर्चा करते हुए कहते हैं, कि सांसारिक ताप से जलते हुए लोगों को तीन ही चीजें आराम दे सकती हैं –

संतान, पत्नी तथा सज्जनों की संगति |

आशय यह है कि अपने बच्चे, पत्नी तथा अच्छे लोगों का साथ, ये तीन चीजें बड़े काम की है | व्यक्ति जब काम-काज से थककर निढाल हो जाता है, तब ये तीन चीजें उसे शांति देती हैं | क्योंकि प्राय: देखा जाता है कि आदमी बाहर के संघर्षों से जूझता हुआ, दिन –भर के परिश्रम से थका मांदा जब शाम को घर लौटता है तो अपनी संतान को देखते ही सारी थकावट, पीड़ा और मानसिक व्यथा को भूलकर स्वस्थ, शांत और संतुलित हो जाता है | इसी प्रकार पति के घर आने पर जब मुस्काती हुई पत्नी उसका स्वागत करती है अपनी सुमधुर वाणी से उसका हाल पूछती है, जलपान से उसको तृप्त एवं संतुष्ट करती है तो आदमी अपनी सारी परेशानी भूल जाता है | और इसी तरह जब कोई महापुरुष किसी असहाय दुःख से संतप्त व्यक्ति को ज्ञानोपदेश देते हैं तो उसके प्रभाव से वह भी शांत और संयत हो जाता है | इस प्रकार आज्ञाकारी संतान, पतिव्रता स्त्री और साधु संत मनुष्य को सुख देनेवाले साधन हैं | व्यक्ति के जीवन में इनका बड़ा महत्त्व है |

 
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