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न मोबाइल न फिल्‍म, सिर्फ एक ही काम अपनी परंपराओं के संरक्षण के लिए वेदाध्‍ययन

Date : 03-Jul-2025

 आचार्य पाणिग्राही संस्कृत वेद पाठशाला में सामवेद और यजुर्वेद का अध्ययन कर रहे हैं बच्चे

भोपाल । एक ओर दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे समय में कुछ बच्चे मोबाइल से दूर भारतीय परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं। पारंपरिक परिधान, माथे पर तिलक और भस्म रेखाएं लगाए बच्चे जब सामूहिक रूप से सामवेद और यजुर्वेद की ऋचाएं और गीता पढ़ते हैं तो सभी मंत्रमुग्ध होकर टकटकी लगाकर देखते हैं। ये बच्चे वेदों का अध्ययन तो कर ही रहे हैं, साथ ही भारतीय संस्कृति से भी जुड़ रहे हैं। कुछ ऐसा ही दृश्य आचार्य पाणिग्राही चतुर्वेद संस्कृत वेद पाठशाला में दिखाई देता है। पाठशाला पिछले 14 वर्षों से संचालित है। वर्तमान में लगभग 50 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। उन्हें सामवेद और यजुर्वेद के साथ-साथ कर्मकांड, संस्कृत के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है।

बातचीत के दौरान गुना से आए 15 वर्षीय साहिल अवस्थी कहते हैं, ''पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की लेकिन मुझे भारतीय संस्कृति लुभाती रही। यहां मैं सामवेद पढ़ रहा हूं। वेदों के अध्ययन से मेरा मन आध्यात्म में लगा है। आगे चलकर मैं हमारी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन लगाना चाहता हूं।'' इसी तरह विदिशा के 12 वर्षीय अनिकेत शर्मा कहते हैं, ''यहां अध्ययन करके मुझे संस्कृत और संस्कृति दोनों में गहरी रुचि हो गई है। जब मैं घर जाता हूं, तो अपने छोटे भाई को भी संस्कृत पढ़ाता हूं। मैं आगे चलकर संस्कृत का अध्यापक बनकर इसे अधिक से अधिक लोगों को सिखाने का प्रयास करूंगा।''

ऐसे ही सिलवानी के अनुज दुबे सहित अन्य छात्रों के भी यही विचार हैं। पाठशाला नई पीढ़ी को न केवल वैदिक ज्ञान में पारंगत कर रही है, बल्कि उन्हें संस्कृति के प्रति जागरूक और संवेदनशील बना रही है। भोपाल की राजदेव कॉलोनी में संचालित ऐसी पाठशालाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे हमारी संस्कृति का संवर्धन हो सके।

यह भी है खास

- सभी बच्चे मोबाइल से दूर हैं। कहते हैं मोबाइल बहुत समस्याओं की जड़ है। इससे इंद्रियां खराब होती हैं।

- पाठशाला में दो इकाई एक सामवेद और दूसरी यजुर्वेद संचालित है। प्रत्येक इकाई में 10-10 बच्चे हैं। बाकी बच्चे कर्मकांड पढ़ते हैं।

- छात्रों को आवास, भोजन की सुविधा है। उन्हें सात्विक भोजन दिया जाता है।

- वेदों के साथ-साथ आधुनिक विषयों जैसे गणित, विज्ञान आदि की भी शिक्षा दी जाती है।

- शिक्षा का संचालन राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड, उज्जैन द्वारा किया जाता है।

आचार्य पाणिग्राही चतुर्वेद संस्कृत वेद पाठशाला, भोपाल के अध्यक्ष दिनेश पाणिग्राही ने कहा कि शिक्षा से व्यक्ति, व्यक्ति से कुटुंब, कुटुंब से समाज और समाज से विश्व निर्माण हमारा ध्येय है। हमारी पाठशाला से विद्यार्थी महर्षि पुत्र बनकर भारत को जगत गुरु बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसा हम विश्वास के साथ कह सकते हैं। हम पाठशाला में व्यक्ति निर्माण को बहुत महत्व देते हैं।

लेखक - सुमित राठौर

 
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