चाणक्य नीति:- कब अकेले कब साथ रहें Date : 21-Aug-2024 एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभि: | चतुर्भिगमन क्षेत्र पंच्भिर्बहुभि रणम || आचार्य चाणक्य यहां एकांत में मन के एकाग्रचित होने के पक्ष को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि तप अकेले में करना उचित होता है, पढ़ने में दो, गाने में तीन, जाते समय चार, खेत में पांच व्यक्ति तथा युद्ध में अनेक व्यक्ति होने चाहिए | आशय यह है कि तपस्या करने में व्यक्ति को अकेला रहना चाहिए | पढ़ते समय दो लोगों का एक साथ पढ़ना उचित है | गाना गाते समय तीन का साथ अच्छा रहता है | कहीं जाते समय यदि पैदल जा रहे हों, तो चार लोग अच्छे रहते हैं | खेत में काम करते समय पांच लोग, उसे अच्छी तरह करते हैं | किन्तु युद्ध में जितने अधिक लोग ( सेना ) हों, उतना ही अच्छा है |