मंदिर श्रृंखला:- गंगा मइया मंदिर | The Voice TV

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मंदिर श्रृंखला:- गंगा मइया मंदिर

Date : 25-Nov-2024

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित, एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है गंगा मइया मंदिर | यह मंदिर विशेष रूप से गंगा मइया (माँ गंगा) को समर्पित है, जो हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और पूजनीय देवी हैं। गंगा मइया मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्षेत्रीय लोगों के बीच बहुत अधिक है। यह मंदिर बालोद के आसपास के ग्रामीण इलाकों के भक्तों के बीच एक प्रमुख तीर्थ स्थल है,जो श्रधालुओं को शांतिपूर्ण वातावरण, प्राकृतिक सुंदरता, भक्तों को मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्रदान करती है। यह स्थान न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोहर का भी एक अहम हिस्सा है।

मां गंगा मईया मंदिर की कहानी आज से करीब 130 साल पुरानी है | उस दौरान बालोद जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी के नहर का निर्माण चल रहा था | उस समय झलमला गांव की आबादी महज 100 के आसपास थी| सोमवार के दिन यहां बाजार लगा करता था | जहां दूरस्थ अंचलों से पशुओं के विशाल समूह के साथ हजारो लोग आया करते थे | यहां पशुओं की अधिकता से पानी की कमी महसूस की जाने लगी | पानी की कमी को पूरा करने के लिए तालाब बनाने के लिए डबरी की खुदाई की गई | जिसे बांधा तालाब का नाम दिया गया | गंगा मईया की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है| वर्तमान में जिस जगह पर देवी की प्रतिमा स्थापित है वहां पहले तालाब हुआ करता था | जहां पर जल भराव रहता था, जिसके अनुसार माता का नाम गंगा मैया रखा गया है |

माता ने सपने में दिया दर्शन

छत्तीसगढ़ के गंगा मैया मंदिर का इतिहास बेहद दिलचस्प और रहस्यमय है। एक बार, एक मछुआरा पास की झील में मछली पकड़ रहा था, तभी उसके जाल में एक मूर्ति फंसी हुई दिखी। शुरू में उसने सोचा कि यह सिर्फ एक पत्थर है, लेकिन उसने फिर भी मूर्ति को झील में वापस फेंक दिया। उसी रात, देवी गंगा ने एक ग्रामीण के सपने में आकर उसे कहा कि मूर्ति को फिर से झील से निकालो। यह संदेश पूरे गांव में फैल गया।

अगले दिन, वही मछुआरा अपने जाल की मदद से मूर्ति को उसी स्थान से निकाल लाया, जहाँ उसने इसे फेंका था। शुरुआत में, देवी गंगा की मूर्ति को गांव के पास एक छोटी सी झोपड़ी में रखा गया था।

एक और दिलचस्प कहानी यह है कि ब्रिटिश शासन के दौरान, जब नहरों का निर्माण हो रहा था, तो अंग्रेजों ने देवी गंगा की मूर्ति को हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन एडम स्मिथ के सभी प्रयासों के बावजूद, वे इसे स्थानांतरित नहीं कर सके।

मंदिर का निर्माण भीकम चंद तिवारी नामक एक व्यक्ति ने उसी स्थान पर करवाया था, और समय-समय पर मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य किए गए हैं। आज, यह मंदिर भारत के सबसे अद्वितीय धार्मिक स्थलों में से एक बन चुका है, जो दुनियाभर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोग यहाँ देवी गंगा का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। मंदिर ट्रस्ट सामाजिक सेवाओं में भी सक्रिय है, और यहां रक्तदान शिविर, चिकित्सा कैंप जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

मुंडन संस्कार की है मान्यता

प्रदेश के कोने-कोने से लोग यहां मुंडन संस्कार कराने भी आते हैं| नवरात्रि में यहां मुंडन संस्कार के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है | गंगा मईया मंदिर के साथ ही ज्योति कलश दर्शन के लिए भी यहां एक विशेष ज्योति दर्शन स्थल बना हुआ है| जहां भक्त ज्योत का दर्शन करते हैं|

 

 
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