विश्व वानिकी दिवस : 21 मार्च
21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है, जो पेड़ों और जंगलों के संरक्षण के लिए समर्पित है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को पेड़-पौधों के महत्व से अवगत कराना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके जरिए, लोगों को पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से रोकने और नए पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
विश्व वानिकी दिवस का इतिहास
वनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए खतरे की स्थिति पहले ही स्पष्ट हो चुकी थी। हर साल औसतन 32 मिलियन एकड़ वन भूमि नष्ट हो जाती है, और इसके साथ ही जंगलों, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का भी विनाश हो रहा है। जलवायु परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण जैसे संकेत यह बताते हैं कि हमें तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में, खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के 1971 के सम्मेलन में 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया।
2012 में अंतर्राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान केंद्र (CIFOR) ने छह विशेष वन दिवसों की शुरुआत की। पहला वन दिवस 2007 में बाली, इंडोनेशिया में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के तहत हुआ। इसके बाद, पोलैंड, डेनमार्क, मेक्सिको और दक्षिण अफ्रीका में भी वन दिवस मनाए गए, जिनमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय समस्याओं पर गंभीर चर्चा की गई। 2012 में, इन प्रयासों के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस या विश्व वानिकी दिवस के रूप में घोषित किया।
विश्व वानिकी दिवस का महत्व
विश्व वानिकी दिवस का प्रमुख उद्देश्य लोगों को पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूक करना है। आजकल, जलवायु परिवर्तन जैसी जटिल चुनौतियाँ हमारे सामने हैं, जिसमें ओजोन परत का नुकसान और प्रदूषण जैसे मुद्दे शामिल हैं। पेड़-पौधों की भूमिका ऑक्सीजन के उत्पादक और प्रदाता के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है, और इनकी कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है। तापमान में वृद्धि और मौसम चक्र में बदलाव हमारी पृथ्वी और जीवन के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत हैं।
इस संकट को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में वानिकी और वन संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य हर व्यक्ति से अपील करना है कि वे पृथ्वी की रक्षा में सक्रिय रूप से भाग लें और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए अपनी भूमिका निभाएं।