बीजेपी, जिसका पूरा नाम भारतीय जनता पार्टी है, भारत की एक प्रमुख राजनीतिक दल है इससे न केवल भारत देश के लोग बल्कि विश्व के लोग भी परिचित होंगे। आज हर कही , हर कोई इस पार्टी के बारे में जानता है। वर्तमान में इसकी प्रसिद्धि में कही ज्यादा बढ़ोतरी हुई है इसका मुख्य कारण देश की सत्ता में होना और कुशल, प्रभावी तथा मुखर नेता का नेतृत्व है। बीजेपी आज जो इतनी विशाल, प्रभावशाली और फैली हुई नजर आती है उसका शुरू से ही देश में डंका नही था।इसने कई चुनौतियों व बाधाओं का सामना करते हुए , देश के सबसे पुरानी पार्टी और अपने मजबूत विपक्षी को हराते हुए आज अपने शीर्ष पर विराजमान है। इस पार्टी ने भारत की एक दलीय राजनीतिक व्यवस्था को परिवर्तित करते हुए उसे दो ध्रुवीय बनाकर के एक नए गठबंधन युग की शुरुवात की । तमाम उतार चढ़ाव और मुश्किलों को पार करते हुए अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब हुई। जो की अन्य पार्टियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज पार्टी की चमक इतनी तेज है की जनता की नजर में बाकी पार्टियों के कार्य , उपलब्धियां धुंधली नजर आती हैं। बीजेपी शुरू से ही राष्ट्र के प्रति अपने अथाह प्रेम को अभिव्यक्त करते आ रही है, और यह राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखते हुए यह अपने आप को एक राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी के रूप में पेश करती है।
बीजेपी का संघर्ष
बीजेपी के विचार एवम दर्शन: बीजेपी का लक्ष्य भारत को एक ऐसा देश बनाना है जो प्रगतिशील और लोकतांत्रिक हो , जहा की महिलाए सशक्त हो, किसी भी तरह का भेद न हो , जहां के सभी लोगो को समान न्याय और समान अवसर उपलब्ध हो , देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो । इसीलिए पार्टी का नारा भी सबका साथ, सबका विकास है । बीजेपी शुरू से ही भारत के इतिहास और भारतीय संस्कृति , देश के धार्मिक रीति रिवाजों के संरक्षण का पक्षधर रही है और विश्व के लोगो को इससे अवगत कराना भी पार्टी का ध्येय रहा है। इसलिए पार्टी ने अपना चुनाव चिन्ह भी कमल का फूल रखा है जिसका हिंदू संस्कृति में अधिक महत्वपूर्ण है । वैसे तो पार्टी के विचार व दर्शन का आधार दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित " एकात्म दर्शनवाद" है परंतु यह कई अन्य प्रमुख सिद्धांतो को भी मानती है जिनमे राष्ट्रवाद, सर्वधर्म समभाव, राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखना, संविधान के द्वारा स्थापित लोकतंत्र की भावना का सम्मान करना प्रमुख है। पार्टी दो प्रमुख संस्था विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़ी हुई है और उनके विचारों और सिद्धांतो से सहमति व्यक्त करते हुए दिखलाई पड़ती है। पार्टी सभी लोगो को एक साथ लेकर चलने में , अधिक से अधिक लोगो , व सभी वर्गो को को समहित करने में यकीन रखती ही क्योंकि पार्टी जानती ही की किसी राजनीतिक दल में जितने अधिक लोगो का समावेशन होगा पार्टी के विचारों में उतनी ही समृद्धि आएगी ।वर्तमान में पार्टी का लक्ष्य एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो स्वावलंबी हो और जो अपनी सभी जरूरतो को पूरी करने में समर्थ हो , जो सदैव प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे।
बीजेपी की संघर्ष गाथा: कहते है संघर्ष जितना बड़ा होता है सफलता उतना ही शोर मचाती है यह लाइन बीजेपी पर बिल्कुल ठीक बैठती है। भाजपा अपने शुरुवाती दिनों से ही नई_ नई चुनौतियों का सामना करती आई ही जिसके परिणाम स्वरूप ही पार्टी इतनी निखर पाई है । इन संघर्षों ने बीजेपी को इतना सक्षम बना दिया है कि यह अपने आगे की लड़ाई को आराम से जीत लेगी और परचम लहराने में कामयाब होगी ।
तो चलिए शुरू करते है पार्टी की रोचक यात्रा ।बीजेपी अपनी शुरुवाती दिनों में अपने वर्तमान स्वरूप के जितनी सशक्त और विशाल नहीं थी बल्कि यह काफी छोटा एक राजनीतिक दल था जिसका गठन श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा किया गया था । वैसे तो मुखर्जी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के समय में एक प्रमुख नेता और वित्त मंत्री थे परंतु हो सकता है यह बात लोगो को सोचने में मजबूर करती हो किआखिर उन्होंने किन कारणों से एक नई पार्टी की नीव रखा डाली । नई पार्टी के गठन के प्रमुख कारणों में तत्कालीन पार्टी के विचारों और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों जैसे जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देना, उस समय कीभारत सरकार की अहिंसावादी नीति, से असहमति थी तथा नेहरू जी के साथ मतभेद है।उस समय पार्टी का नाम "अखिल भारतीय जनसंघ " रखा गया। बाद में मुखर्जी के जेल जाने के बाद पार्टी का नेतृत्व पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने किया जो बीजेपी का सह संस्थापक व प्रथम अध्यक्ष भी थे । जनसंघ के गठन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपना अतुलनीय योगदान दिया ।
परंतु किन्ही कारणों से पार्टी भंग हो गई फिर पार्टी ने विलय का रास्ता अपनाते हुए पार्टी कए पुनर्गठन का प्रयास किया जिसे "जनता पार्टी" नाम दिया गया । तब पार्टी की बागडोर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी , इंदिरा गांधी से लोहा लेने वाले एवम उन्हें पद त्यागने को मजबूर करने हेतु " सम्पूर्ण मुक्ति संग्राम" आंदोलन चलाने वाले , असंवैधानिक आपातकाल की घोर आलोचना करने वाले निडर राजनेता जयप्रकाश नारायण जिन्हे हम प्यार से जेपी कहते है ने संभाली। इन्हे लोकनायक के नाम की उपाधि से भी नवाजा गया है।
जिस तरह एक आम पार्टी के सदस्य में आम सहमति कायम नहीं हो पाती , विचार में मतभेद और अंतर्कलह होने के कारण उसमे फुट पड़ जाती है ठीक आइसिस समस्या से बीजेपी को भी दो चार होने पड़े । अंततः बीजेपी में इतने सारे महान राज नेताओं के योगदान के बावजूद पार्टी टूट गई और पार्टी को अपना नया स्वरूप धारण करना पड़ा। पार्टी के इस नए स्वरूप के जनक अटल बिहारी बाजपाई द्वारा 1980 में दिया गया । अटल जी भारत के3 तीन बार प्रधानमंत्री बने । वह एक सरल व्यक्तित्व के धनी, प्रखर वक्ता थे। इन्होंने अपने सत्ता में रहने के दौरान कई प्रमुख कार्य किए जिनमे सबसे अधिक महत्वपूर्ण पोखरण परमाणु परीक्षण था। उन्होंने बीजेपी के अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई जिसमे लाल कृष्ण आडवाणी ने अटल जी का साथ दिया । दोनो की जोड़ी ने बीजेपी को एक नये मुकाम पर पहुंचाया ।अटल -आडवाणी की इस जोड़ी ने बीजेपी के भाग्य पलट दिए और पार्टी को एक सशक्त नेतृत्व मिला। जिसके बाद से पार्टी में आज तक किसी भी तरह की फुट पड़ने जैसे घटना नहीं हुई । यह रही बीजेपी के अर्श से फलक तक पहुंचने की रोचक यात्रा ।
बीजेपी की राजनीतिक सफलता और उपलब्धि : राजनीति में किसी भी दल की शक्ति का आकलन इस बात से किया जाता है की फलाना दल के सदस्य लोकसभा और राज्यसभा की कितनी सीटें पर पार्टी के विराजमान है , कितने राज्यो और केंद्र शासित प्रदेशों में पार्टी सत्ता में है। लगभग हर राजनीतिक दल का उद्देश्य भी सीटे जितना ही होता है फिर चाहे हम विश्व की बात करे या भारत के पार्टियों की ।
बीजेपी के गठन के कुछ ही वर्षों में जब 1984 में जब चुनाव हुआ था तब बीजेपी 2-3 सीटे ही जीत पाई थी।फिर पार्टी ने अपनी कमजोरियों में सुधार करते हुए अपने द्वारा विजित सीटो की संख्या में लगातार बढ़ोतरी की । आज बीजेपी की लोकसभा के 543 सीटो में से 300 से अधिक सीटो और राज्यसभा के आधे से अधिक सीटो पार्टी के सदस्य विराजमान होने के साथ केंद्रीय स्तर पर सत्ता में है। भारत के राजनीतिक इतिहास में शायद ही कभी कोई पार्टी बीजेपी जितनी सशक्त, और पूर्ण बहुमत की भूमिका में रही होगी।
आज बीजेपी सिर्फ केंद्र में ही सत्ता में नहीं है अपितु यह 20 से अधिक राज्यो और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में भी अपनी सरकार बनाने में सफल हुई है। पार्टी ने कुछ राज्यो में अपने दम पर सरकार बनाई तो वही कुछ राज्यो में गठबंधन का सहारा लिया। इसके अलावा पार्टी से जुड़े हुए कुछ सदस्य भारत के संवैधनिक पदो से भी सुशोभित हुए जिनमे भारत के प्रथम नागरिक ( राष्ट्रपति) , उपराष्ट्रपति, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति का पद प्रमुख है।
अपने सत्ता में रहने के दौरान दल के नेताओ ने आमजन की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक एवम कृषि सम्बन्धी समस्याओं को न सिर्फ पहचाना बल्कि उनमें सुधार भी किए तथा भारत को हर तरीके से सक्षम बनाने के प्रयास किए। आतंकवाद , राष्ट्रवाद, , मुस्लिम महिलाओं का तीन तलाक का मुद्दा , राम मंदिर निर्माण करने जैसे प्रमुख मुुद्दो को हल किया। इन मुद्दों के बाल पीआर बीजेपी आम जनता के बीच अपनी दमदार छवि बनाने में , उन्हें लुभाने व अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल रही। जिसका बीजेपी को प्रायोगिक रूप से परिणाम 2019 के चुनाव की जीत के रूप में देखने को मिला।
जो पार्टी जितने सफल होती है उसके उतने ही आलोचक होते है, उतने ही कई विरोधियों का सामना करना पड़ता है इसलिए इतनी उपलब्धियों की वजह से बीजेपी हमेशा अपने विरोधियों के निशाने पर रही है। आलोचकों के द्वारा तो बीजेपी को वर्चस्ववादी और केंद्रीकृत पार्टी की संज्ञा तक दे दी गई है। पार्टी की सफलता के पीछे का राज इसके नायकों की भूमिका है । जब पार्टी में अटल, आडवाणी , उपाध्याय, मोदी , शाह और अन्य प्रमुख नेता हो तो ऐसे पार्टी का सफल होना तो तय है ही साथ ही पार्टी के चर्चे आज पूरे विश्व पटल पर है । बीजेपी इन नेताओ के योगदान की बदौलत आज अपने अपनी चरम अवस्था को हासिल कर पाई है। इन नेताओ की खासियत और शख्सियत यही रही है कि वे आमजन को और उनकी समस्यायो इतने बेहतरीन ढंग से संबोधित करते थे की आमजन स्वतः ही उनकी तरफ आकर्षित हो जाती है ज्जिसकी वजह से आज बीजेपी के समर्थको की संख्या में वृद्धि हुई है और आज यह विश्व की पहली राजनीतिक पार्टी बन गई है ।
संघर्ष अभी बाकी है: बीजेपी की रोचक और संघर्ष भरी यात्रा से सभी परिचित हो चुके है। परंतु पार्टी को अभी भी कई ऐसे मुद्दों का हल निकालना बाकी है , कई चुनौतियों का सामना करना बाकी है । किसी भी राजनीतिक पार्टी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण चुनौती जो होती है वह है अपने सदस्यों, कार्यकर्ताओं और वोटबैंक को थाम कर रखने की , उनके बीच एकता में फुट पड़ने से रोकने की । एक आम पार्टी की तरह बीजेपी भी ठीक इसी प्रकार की समस्यायों से दो-चार होती रही है। उम्मीद है बीजेपी अपने वोटबैंक के आकर्षण को अपनी तरफ बना के रख पाएगी और 2024 के आम चुनाव में पुनः दमदार वापसी करते हुए और अधिक मजबूत और स्थाई सत्ता बनाएगी।
लेखिका - कल्याणी साहू