विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कनाडा के नियाग्रा में आयोजित जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के "ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों पर आउटरीच सत्र" में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए वैश्विक निर्भरता को कम करने, आपूर्ति पूर्वानुमान को सुदृढ़ करने और लचीलापन विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा और खनिज सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत वैश्विक साझेदारों के साथ रचनात्मक रूप से कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अनिश्चितता और बाजार की सीमाओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
इससे पहले, विदेश मंत्री ने "समुद्री सुरक्षा और समृद्धि पर आउटरीच सत्र" में भाग लिया, जहाँ उन्होंने हिंद-प्रशांत सहयोग, महासागर दृष्टिकोण और घरेलू बंदरगाह-आधारित विकास के माध्यम से समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत की रणनीति साझा की। उन्होंने संयुक्त अभ्यासों और रसद समझौतों के ज़रिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एचएडीआर (मानवीय सहायता एवं आपदा राहत) सहयोग को मजबूत करने के भारत के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) का पालन आवश्यक है।
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के निमंत्रण पर जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में "आउटरीच पार्टनर" के रूप में भाग ले रहे हैं। उनकी यह भागीदारी वैश्विक चुनौतियों के समाधान और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को सशक्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
