रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले 10 प्रमुख पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को "आवश्यकता की स्वीकृति" (Acceptance of Necessity) प्रदान की गई है। ये सभी खरीद स्वदेशी स्रोतों से की जाएंगी, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को और बल मिलेगा।
प्रमुख स्वीकृत प्रस्तावों में शामिल हैं:
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बख्तरबंद रिकवरी वाहन (Armoured Recovery Vehicles)
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इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली (Electronic Warfare Systems)
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तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम
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सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Surface-to-Air Missiles)
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मूर्ड माइंस (Moored Mines)
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माइन काउंटर मेजर वेसल्स (Mine Countermeasure Vessels)
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सुपर रैपिड गन माउंट (Super Rapid Gun Mount)
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सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स (Submersible Autonomous Vessels)
अपेक्षित लाभ:
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सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों में बढ़ोतरी
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बेहतर हवाई रक्षा और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
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नौसेना और व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा में सुधार
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उच्च गतिशीलता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का विकास
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इन अधिग्रहणों से घरेलू रक्षा उद्योग को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।