रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारत की पहली अखिल महिला त्रि-सेवा जलयात्रा अभियान – आईएएसवी त्रिवेणी – को मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस ऐतिहासिक ‘समुद्री प्रदक्षिणा’ मिशन में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की 10 महिला अधिकारी शामिल हैं और इसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर कर रही हैं।
श्री सिंह ने इसे भारत के इतिहास में महिलाओं की सैन्य भागीदारी का एक स्वर्णिम अध्याय बताते हुए कहा कि यह अभियान सिर्फ़ एक जलयात्रा नहीं, बल्कि तीनों सेनाओं की संयुक्त शक्ति और महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह मिशन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा और गर्व देगा।
रक्षा मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि यह जलयात्रा भारत की समुद्री शक्ति का अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन भी करेगी। दल चार विदेशी बंदरगाहों पर रुकेगा, जहाँ प्रवासी भारतीयों और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों से संवाद किया जाएगा, जिससे यह अभियान एक राजनयिक मिशन का भी कार्य करेगा।
अभियान की प्रमुख विशेषताएँ:
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तीनों सेनाओं की कुल 10 महिला अधिकारी: 5 सेना, 1 नौसेना, 4 वायुसेना
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9 महीने की जलयात्रा, मई 2026 में वापसी
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लगभग 26,000 समुद्री मील की दूरी तय होगी
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भूमध्य रेखा को दो बार पार किया जाएगा
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तीन प्रमुख केप: केप ल्यूविन, केप हॉर्न, केप ऑफ गुड होप का चक्कर
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दक्षिणी महासागर और ड्रेक पैसेज जैसे चुनौतीपूर्ण जलक्षेत्र पार किए जाएंगे
इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, और वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
राजनाथ सिंह ने महिला सैनिकों की इस ऐतिहासिक यात्रा को 'भारत की नारी शक्ति' का प्रतीक बताते हुए उन्हें शुभकामनाएँ दीं और कहा कि जब यह दल लौटेगा, तो उनके नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होंगे।