डिजिटल युग में पुस्तकालय ज्ञान के भरोसेमंद मार्गदर्शक : उपराष्ट्रपति | The Voice TV

Quote :

" सुशासन प्रशासन और जनता दोनों की जिम्मेदारी लेने की क्षमता पर निर्भर करता है " - नरेंद्र मोदी

National

डिजिटल युग में पुस्तकालय ज्ञान के भरोसेमंद मार्गदर्शक : उपराष्ट्रपति

Date : 02-Nov-2025

 नई दिल्ली, 02 नवंबर । उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि पुस्तकालय केवल किताबों का भंडार नहीं, बल्कि वे ज्ञान, चिंतन और सशक्तिकरण के मंदिर हैं।

 
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने शनिवार को केरल में संगठित पुस्तकालय आंदोलन के 80 वर्ष पूरे होने पर त्रिवेंद्रम के कनकक्कुन्नू पैलेस में पीएन पनिक्कर फाउंडेशन की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 'लाइब्रेरीज एम्पावरिंग कम्युनिटीज-ग्लोबल पर्सपेक्टिव्स' को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि इस फाउंडेशन ने पढ़ने की संस्कृति, डिजिटल साक्षरता और ज्ञान के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फाउंडेशन का नारा “वायिचु वलरुका” (पढ़ो और आगे बढ़ो) आज भी समाज को ज्ञान और समावेशन की दिशा में प्रेरित करता है।
 
राधाकृष्णन ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान और शिक्षा की भूमि रहा है। आदि शंकराचार्य ने देशभर की यात्रा कर समाज में आध्यात्मिक चेतना और एकता का संदेश दिया था। भारत के अनेक ऋषि-मुनियों और विचारकों ने अपनी करुणा, विवेक और दूरदर्शिता से इस सभ्यता को समृद्ध बनाया है। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में जहां सूचनाओं की भरमार है, वहीं पुस्तकालय सच्चे और भरोसेमंद ज्ञान के केंद्र बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक जानकारी तक तुरंत पहुंच देती है, लेकिन पुस्तकालय गहराई, चिंतन और सार्थक संवाद को बढ़ावा देते हैं।
 
दो दिवसीय यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2 और 3 नवम्बर को आयोजित किया जा रहा है। इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और डिजिटल नवाचारकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में पुस्तकालयों की बदलती भूमिका, डिजिटल पहुंच और सामुदायिक भागीदारी पर चर्चा की जा रही है।
 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement