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भूकंप कैसे शुरू होता है? वैज्ञानिकों के नई स्टडी से हुआ खुलासा !

Date : 20-Jan-2025

भूकंप की शुरुआत से पहले एक धीमी और रेंगने वाली प्रक्रिया होती है, जिसमें कोई कंपन नहीं होता। वैज्ञानिकों की नई स्टडी से पता चला है कि यह प्रक्रिया भूकंप बनने में अहम भूमिका निभाती है। यह रिसर्च पदार्थों के टूटने की प्रक्रिया को समझने पर केंद्रित थी। लैब में प्लास्टिक की शीट पर दरार बनने का अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि जब दो सतहों के बीच घर्षण बढ़ता है, तो यह अचानक टूटने की स्थिति में बदल जाता है। यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के भौतिक विज्ञानी और शोधकर्ता जे फाइनबर्ग के अनुसार, संपर्क में आई सतहों के पदार्थ का प्रकार कोई फर्क नहीं डालता, क्योंकि यह प्रक्रिया हर बार समान रूप से होती है।

भूकंप कैसे बनते हैं?

भूकंप तब उत्पन्न होते हैं जब दो टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के खिलाफ सरकने की कोशिश करती हैं, लेकिन उनके बीच का हिस्सा फंस जाता है। इस स्थिति में तनाव धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। जब यह तनाव अपने चरम पर पहुंचता है, तो प्लेटों के बीच का कमजोर हिस्सा, जिसे "ब्रिटल जोन" कहा जाता है, टूट जाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू होती है, लेकिन जैसे ही दरार तेजी से फैलती है, यह धरती को हिलाकर भूकंप का कारण बनती है।

दरार बनने की प्रक्रिया को समझने की कोशिश

फाइनबर्ग और उनकी टीम ने इस सवाल का उत्तर खोजने के लिए गणितीय मॉडल और प्रयोगशाला में परीक्षण किए. उन्होंने थर्मोप्लास्टिक (प्लेक्सीग्लास) की शीट्स को एक-दूसरे पर दबाव देकर और खिसकाकर भूकंप जैसी दरारें पैदा कीं. यह प्रक्रिया कैलिफोर्निया की सैन एंड्रियास फॉल्ट जैसी स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट्स से मिलती-जुलती है|

शोधकर्ताओं ने पाया कि दरार बनने से पहले एक 'न्यूक्लिएशन फ्रंट' नामक चरण होता है. यह एक धीमी प्रक्रिया है, जिसमें दरारें धीरे-धीरे बढ़ती हैं. पहले इसे केवल एक रेखा की तरह समझा जाता था, लेकिन नए शोध में इसे दो-आयामी (2D) प्रक्रिया के रूप में मॉडल किया गया.

शोध में पाया गया कि जब दरारें प्लेटों के बीच के कमजोर हिस्से से बाहर निकलती हैं, तो ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाता है. अतिरिक्त ऊर्जा अचानक तेज दरारें पैदा करती है, जो भूकंप की वजह बनती हैं. इस रिसर्च से पता चलता है कि अगर भूकंप से पहले होने वाली धीमी गति की गतिविधियों को मापा जा सके तो भूकंप की भविष्यवाणी संभव हो सकती है. हालांकि, असली दुनिया में यह चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कई फॉल्ट्स बिना किसी भूकंप के लंबे समय तक धीमी गति से खिसकते रहते हैं.

लैब में भविष्यवाणी के संकेत ढूंढने की कोशिश

फाइनबर्ग और उनकी टीम अब लैब में इस प्रक्रिया के संकेतों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. फाइनबर्ग ने कहा कि हम लैब में इसे होते हुए देख सकते हैं. इसकी आवाजें सुन सकते हैं. यह हमें ऐसी जानकारी दे सकता है जो असली फॉल्ट्स में संभव नहीं है |

 

 

 

 
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