साइंस कहता है: बागवानी से घटता है डिमेंशिया का खतरा 36% तक | The Voice TV

Quote :

बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

Science & Technology

साइंस कहता है: बागवानी से घटता है डिमेंशिया का खतरा 36% तक

Date : 14-May-2025

क्या आप जानते हैं कि बागवानी सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी का राज़ भी हो सकती है? हालिया शोध बताते हैं कि मिट्टी से जुड़ाव न केवल मानसिक सेहत को संवारता है, बल्कि बुज़ुर्गों को डिमेंशिया जैसी बीमारियों से भी बचा सकता है।

मिट्टी की शक्ति: कैसे बागवानी बदल रही है ज़िंदगियाँ

नॉर्वे की मरियान रोगस्टाड, जो स्विट्ज़रलैंड में होटल रिसेप्शनिस्ट रही थीं, डिमेंशिया से जूझ रही थीं। लेकिन जब उन्होंने ओस्लो के पास स्थित ‘इम्पुल्ससेंटर’ नामक एक ‘केयर फार्म’ से जुड़ाव बनाया, तो उनकी ज़िंदगी में दोबारा रंग लौट आए। यह फार्म उन लोगों के लिए आश्रय है, जो सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ गए हैं। यहाँ लोग मिट्टी में काम करते हैं, पौधे लगाते हैं, और एक-दूसरे से बातचीत करते हैं — यह सब मिलकर उनके मानसिक स्वास्थ्य में चमत्कारी सुधार लाते हैं।

यूरोप में बढ़ रहा है "ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन" का चलन

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे ने 2015 में डिमेंशिया देखभाल के लिए एक राष्ट्रीय योजना शुरू की, जिसमें फार्म आधारित देखभाल, जैसे "इन पि टुनेट" (आंगन में वापसी) जैसी पहलें शामिल की गईं। यूरोप और अन्य देशों में अब डॉक्टर्स भी रोगियों को "प्रकृति में समय बिताने" यानी ग्रीन प्रिस्क्रिप्शन देने लगे हैं।

बागवानी: शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद

कनाडा की चिकित्सक डॉ. मेलिसा लेम बताती हैं कि बागवानी शारीरिक गतिविधि, तनाव में कमी और सामाजिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करती है। इससे ब्लड प्रेशर, शुगर और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है — ये सभी कारक डिमेंशिया से बचाव में मददगार हैं।

स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा और ऑस्ट्रेलिया की स्टडीज में पाया गया कि जो लोग जीवनभर बागवानी करते रहे, उनकी याददाश्त और सोचने की शक्ति बेहतर रहती है। बागवानी मस्तिष्क के उस हिस्से को सक्रिय करती है जो योजना बनाने, समस्याओं को हल करने और निर्णय लेने में मदद करता है।

मानसिक शांति से लेकर गिरने के खतरे तक में राहत

प्रसिद्ध शोधकर्ता रॉजर उलरिच के अनुसार, केवल पौधों और हरियाली को देखना भी हमारे दिमाग को शांत करता है। यह प्रभाव हमारे पूर्वजों की प्रकृति से निकटता की आदत से जुड़ा है। बागवानी से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, हड्डियाँ टिकाऊ बनती हैं, और वृद्धावस्था में गिरने का खतरा भी कम होता है।

डिमेंशिया से जूझ रहे लोगों के लिए भी वरदान

बागवानी डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों के लिए सिर्फ एक गतिविधि नहीं, बल्कि एक थेरेपी है। यह उनकी स्मृति, आत्मविश्वास, सामाजिक संवाद और व्यवहार में सुधार लाती है। यूरोप और ब्रिटेन में अब कई केयर सेंटर हैं, जो बागवानी को चिकित्सकीय तौर पर अपना चुके हैं।


मिट्टी से जुड़ाव केवल पौधों को नहीं, ज़िंदगियों को भी संवारता है। चाहे आप पूरी तरह स्वस्थ हों या किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हों — बागवानी आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। तो अगली बार जब ज़िंदगी से थोड़ा थकान महसूस हो, तो बस एक कुदाली उठाइए, बीज बोइए — और देखिए, कैसे मिट्टी आपको जीवन का नया उत्साह देती है।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement