संगम, महाकुंभ में लगभग दस लाख लोग कल्पवास की प्राचीन परंपरा का पालन कर रहे हैं। श्रद्धालु माघी पूर्णिमा तक एक महीने तक कल्पवास करते हैं, जिसमें वे निर्धारित अनुष्ठानों का सख्ती से पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कल्पवास आध्यात्मिक विकास और शुद्धि का सर्वोच्च मार्ग माना जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक सहज और आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की है।
कल्पवासी पवित्र संगम के तट पर रहकर वैदिक अध्ययन और ध्यान में लीन रहते हैं। इस दौरान कल्पवासी दिन में तीन बार स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और सादगी और अनुशासन का पालन करते हैं। आकाशवाणी समाचार से बातचीत में उत्तर प्रदेश के कल्पवासी महिमाशंकर तिवारी ने बताया कि वे पिछले अठारह सालों से कल्पवास कर रहे हैं।
ग्वालियर की कल्पवासी रीमा सिंह ने आकाशवाणी समाचार से बातचीत में बताया कि इस दौरान वह भगवान की पूजा-अर्चना में लीन रहीं। एक माह तक चलने वाला कल्पवास 13 जनवरी से शुरू हुआ है और पौष पूर्णिमा 12 फरवरी तक चलेगा।