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राजस्थान में होली: अनूठी परंपराएं और विशेष खेल, हर शहर की होली है खास

Date : 12-Mar-2025

राजस्थान में होली का अनोखा रंग: परंपराओं से सजी होली की धूम

होली का त्योहार भारत में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है और राजस्थान में यह उत्सव खासतौर पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली, जिसे 'होलिका' के नाम से भी जाना जाता है, केवल एक आधुनिक उत्सव नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में गहरी जड़ें रखने वाली सदियों पुरानी परंपरा है। इसके प्रारंभिक संदर्भ प्राचीन धार्मिक ग्रंथों जैसे जैमिनी के मीमांसा सूत्र में मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि होली आर्य सभ्यता में भी मनाई जाती थी।

होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार फागुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। राजस्थान में होली के दिन विभिन्न स्थानों पर रंग-बिरंगे आयोजन होते हैं, जो इस त्योहार की विशेषता को और भी बढ़ा देते हैं। जयपुर के गोविंद देव मंदिर में होली के मौके पर रंग-गुलाल के साथ खास फाग उत्सव आयोजित होते हैं।

राजस्थान की होली में सबसे आकर्षक पहलू बीकानेरी होली का है, जिसमें पुष्करणा समाज के लोग डोलची खेलते हैं। डोलची एक चमड़े का पात्र होता है, जिसमें पानी भरा जाता है और इसे जोर से एक-दूसरे पर फेंका जाता है। बाड़मेर में पत्थरमार होली और अजमेर में कोड़ा होली के आयोजन भी होते हैं, जो इस त्योहार को और भी रोमांचक बनाते हैं।

भरतपुर और ब्रजांचल क्षेत्र में होली का आगमन विशेष रूप से मनाया जाता है। यहां के लोग रसिया गाते हुए ढप, ढोल और झांझ बजाते हैं, जबकि महिलाएं जलते दीपकों के साथ नृत्य करती हैं। ब्रज क्षेत्र की लठमार होली आज भी यहां की लोक संस्कृति का हिस्सा है। पुष्कर में कपड़ा फाड़ होली का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय लोग और विदेशी पर्यटक भी हिस्सा लेते हैं।

राजस्थान के डूंगरपुर जिले की होली भी बेहद खास मानी जाती है। यहां के लोग एक महीने पहले ही होली की तैयारियों में जुट जाते हैं और होलिका के अंगारों पर नंगे पांव चलने की परंपरा निभाते हैं। डूंगरपुर के भीलूड़ा में पत्थरमार होली का आयोजन होता है, जो पिछले 200 साल से जारी है, और लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं।

शेखावाटी की होली पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां चंग की धुन पर लोग धमाल गाते हैं और गांवों में गींदड़ नृत्य करते हैं, जिसमें डंडों की टक्कर से अद्भुत दृश्य उत्पन्न होता है। यह नृत्य गांवों में होली के उत्सव का अहम हिस्सा है। हालांकि, बढ़ते शराब के प्रचलन और आधुनिकता के कारण यह परंपरा कुछ हद तक बदल रही है, फिर भी यहां की होली में लोक वाद्य और धमाल का महत्व आज भी बरकरार है।

राजस्थान की होली, अपनी विविधता और परंपराओं के साथ, इस त्योहार को एक अनोखा रूप देती है। यह त्योहार न केवल रंगों से बल्कि परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ा है, जो इसे और भी खास बनाता है।

 
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