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बूढ़ा केदार में धूमधाम से मनाई गई गुरु कैलापीर दीपावली

Date : 20-Nov-2025

देहरादून, 20 नवंबर )। टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड के बूढ़ा केदार धाम में इस वर्ष भी गुरु कैलापीर दीपावली बग्वाल का आयोजन बड़ी आस्था और उत्साह के साथ किया गया। दीपावली के ठीक एक माह बाद मनाई जाने वाली गुरु कैलापीर बग्वाल क्षेत्र की अनोखी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा है, जो हर वर्ष स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

बग्वाल पर्व के दौरान पुंडारा के विशाल सेरे में हजारों की भीड़ उमड़ी। परंपरा के अनुसार श्रद्धालुओं ने ‘भैलो’ घुमाकर धार्मिक विधि से मांगशीर बग्वाल मनाई। पूरा परिसर ढोल-दमाऊं, रणशिंगे और दैवी गीतों की गुंजाइ मान हुआ। कार्यक्रम को और भव्य बनाने के लिए लोक संस्कृति के प्रसिद्ध कलाकार पदम गुसाईं और रवि गुसाईं की सांस्कृतिक टीम ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। उनके लोकगीतों, झुरूकों और पारंपरिक नृत्यों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को देर तक बांधे रखा। कलाकारों की प्रस्तुति पर युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी थिरकने को मजबूर हो गए।

स्थानीय लोग इसे अपनी आस्था, परंपरा और सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक बताते हैं। आयोजन के सफल संचालन के लिए गांवों की समितियों, पुजारियों और स्थानीय प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्थाएं की गईं। गुरु कैलापीर बग्वाल के साथ ही बूढ़ा केदार क्षेत्र एक बार देवभूमि की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का साक्षी बना, जहां परंपरा और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिला।

लखनऊ से अपने मायके दीपावली मनाने आई सुगंधा गुसाई ने बताया कि देश में मनाई जाने वाली दीपावली के एक माह बाद बूढ़ा केदार क्षेत्र में दीपावली मनाई जाती है। वह हर वर्ष इस दीपावली को मनाने अपने मायके परिजनों के साथ आती हैं।

बूढ़ा केदार के प्रधान बचेंद्र सेमवाल ने बताया कि उत्तरकाशी और टिहरी की तीन न्याय पंचायतों के 180 गांवों में मांगशीर दीपावली मनाई जाती है। बूढ़ा केदार कैलापीर मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि गुरु कैला पीर दीपावली इस क्षेत्र के आराध्य देव गुरु कैलापीर के नाम पर यह दीपाली का त्यौहार मनाया जाता है । उन्होंने बताया कि गुरु कैला पीर चंपावत से यहां आए थे ।

 
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