जालौन, 17 अक्टूबर । बुंदेलखंड अपनी संस्कृति और अपनी पहचान के लिए जाना जाता है। यहां अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) पर कुंवारी कन्याएं एक राक्षस के पैरों को पखारती हैं। यह परम्परा पूरे बुंदेलखंड में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। ये परंपरा वर्षों पुरानी है। बुधवार रात को शरद पूर्णिमा के दिन टेसू झिझिया की पूरे नगर में बारात निकाली गई, साथ ही विधि विधान से टेसू-झिझिया का विवाह संपन्न कराया गया, इस दौरान कुंवारी कन्याओं द्वारा सुआता नामक राक्षस के पैर भी पखारे गए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन टेसू और झिझिया का अनोखा विवाह होता है। मान्यताओं के अनुसार जब टेसू और झिझिया का विवाह संपन्न हो जाता है, उसके बाद से ही बुंदेलखंड क्षेत्र में हिन्दू समाज में शादियों की सहालग शुरू होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भामासुर (सुआटा) नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जो कुंवारी लड़कियों को बंधक बनाकर उनसे अपनी पूजा कराता था। अपने पैर पखरवाकर उनसे जबरन शादी करता था। इससे परेशान होकर कुंवारी कन्याओं ने भगवान कृष्ण की आराधना की। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने कुंवारी कन्याओं को वरदान दिया कि इस राक्षक का अंत टेसू नाम के एक वीर योद्धा से होगा। बाद में भामसुर राक्षस ने राजकुमारी झिझिया सहित कई कुंवारी कन्याओं को बंधक बना लिया।
लेकिन भगवान के वरदान स्वरूप टेसू ने भामासुर नामक राक्षस का अंत कर सभी को मुक्त कराया और राजकुमारी झिझिया से विवाह किया। जब राक्षस का अंत हुआ तब शरद पूर्णमासी की रात थी। जब राक्षस भामसुर (सुआटा) मरने वाला था, तभी उसने भगवान की आराधना की। उसकी आराधना पर भगवान ने उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। तब राक्षस ने कुंवारी कन्याओं से पैर पूजने का वर मांगा। इस वर के बाद तब से शरद पूर्णिमा के दिन सभी कुंवारी कन्याएं सुआटा नामक राक्षस के पैर पूजती हैं और पैर पूजने के बाद ये सभी लड़कियां टेसू और झिझिया की शादी कराकर टेसू जैसे वीर पति पाने की मनोकामना करती हैं।
टेसू और झिझिया के विवाह शुरू होने का कार्यक्रम पूरे एक महीने चलता है। इसमे कुंवारी लड़कियां छोटी सी गगरी में कई छेद कर उसमें दीप जलाती और घर-घर जाकर धन मांगती हैं। बाद में शरद पूर्णिमा के दिन लड़कियों के द्वारा एक दीवार पर सुआटा राक्षस की भी गोबर से प्रतिमा बनाती है।
इस कार्यक्रम में मुहल्ले के सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। वहीं टेसू झिझिया विवाह के अवसर पर पहुंचे नगर में टेसू झिझिया की भव्य बारात निकाली गई, जिसमें अधिकारी भी शामिल हुए। वहीं महिलाएं झिझिया की शादी पर मंगल गीत गाती हैं और झिझिया को सिर पर रखकर नाचती-गाती हैं। बाद में कुंवारी लड़कियों के द्वारा राक्षस की पूजा की जाती है।
इसी प्रकार लड़कों के द्वारा भी लकड़ी और कागज से टेसू का पुतला बनाया जाता है, जिसे वह भी घर-घर ले जाकर चन्दा मांगते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन बारात लेकर वर झिझिया के घर पहुंचते हैं। जहां धूमधाम से टेसू और झिझिया का विवाह सम्पन्न कराया जाता है। विवाह सम्पन्न होने के बाद लड़के पारम्परिक तरीके से राक्षस की प्रतिमा को तहस-नहस कर देते हैं। इसके बाद लड़कों द्वारा जमकर आतिशबाज़ी की जाती है।
भारत का फाइनेंशियल गेट-वे बनी गांधीनगर की गिफ्ट सिटी
-गिफ्ट सिटी में स्थित 700 से अधिक कारोबारी संस्थानों के कारण अनुमानित 25 हजार रोजगार का सृजन हुआ
-गिफ्ट सिटी में बैंक ऑफ अमेरिका, एसबीआई, एलआईसी, गूगल, आईबीएम, ओरेकल और टीसीएस जैसी विश्व प्रसिद्ध कंपनियों के कॉर्पोरेट ऑफिस संचालित
गांधीनगर, 15 अक्टूबर । गिफ्ट सिटी का निर्माण अहमदाबाद और गुजरात की राजधानी गांधीनगर के बीच साबरमती नदी के तट पर किया गया है। गुजरात सरकार की पहल और भारत सरकार के सहयोग से तैयार गिफ्ट सिटी को भारत की पहली ऑपरेशनल स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और मार्गदर्शन में 2007 में गिफ्ट सिटी की परिकल्पना की गई थी। वैश्विक स्तर पर वित्तीय रूप से समृद्ध न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस, सिंगापुर और दुबई जैसे देशों की तर्ज पर भारत को भी एक वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए गिफ्ट सिटी का निर्माण किया गया है।
वर्तमान में गांधीनगर में 886 एकड़ क्षेत्र में फैली गिफ्ट सिटी को विश्व स्तरीय वाणिज्यिक, रिहायशी और सामाजिक सुविधाओं के साथ एक सुनियोजित और प्रौद्योगिकी-सक्षम स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है। मल्टी-सर्विस स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) में स्थित गिफ्ट सिटी में भारत का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) और डोमेस्टिक टैरिफ एरिया है। वर्तमान में गिफ्ट सिटी में लगभग 20 इमारतों में कामकाज जारी है तथा अन्य प्रोजेक्ट प्रगति पर हैं। गिफ्ट सिटी की लोकप्रियता और गुजरात सरकार की प्रोत्साहक नीतियों के कारण यहां विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां कारोबार के लिए आ रही हैं। इसके परिणामस्वरूप गिफ्ट सिटी में 700 से अधिक कारोबारी संस्थानों के कार्यालय खुल चुके हैं और इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अनुमानित 25,000 रोजगार का सृजन हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 23 वर्षों की संकल्प सिद्धि को जन-जन के बीच उजागर करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात में ‘विकास सप्ताह’ का जश्न मनाया जा रहा है। गुजरात आज देश के मॉडल स्टेट के रूप में उभर चुका है, और मौजूदा प्रधानमंत्री एवं गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट गांधीनगर स्थित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) ‘विकसित भारत@2047’ के स्वप्न को साकार करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। गिफ्ट सिटी में अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाएं जैसे कि डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम, ऑटोमेटेड वेस्ट कलेक्शन सिस्टम, अंडरग्राउंड यूटिलिटी टनल और ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन तथा स्कूल व मेडिकल सुविधा तथा इंडोर और आउटडोर खेल सुविधा युक्त एक बिजनेस क्लब, मनोरंजन की सुविधा, फाइव स्टार होटल, सुपर मार्केट और मल्टी-कुजीन रेस्टोरेन्ट जैसी सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
गिफ्ट सिटी में व्यापार-वाणिज्य के साथ-साथ सुनियोजित हाउसिंग परियोजनाएं भी बन रही हैं, जो गिफ्ट सिटी को वास्तव में ‘वॉक टू वर्क’ सिटी बनाती हैं। गिफ्ट सिटी में उपलब्ध मेट्रो ट्रेन की कनेक्टिविटी, 20 मिनट की दूरी पर स्थित डोमेस्टिक और इंटरनेशनल एयरपोर्ट, 15 मिनट की दूरी पर स्थित रेलवे स्टेशन और नेशनल हाईवे की कनेक्टिविटी सहित विभिन्न परिवहन सुविधाएं उद्योगों के लिए एक अनुकूल वातावरण मुहैया कराती हैं। गिफ्ट सिटी में स्थित भारत का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र शीर्ष वैश्विक वित्तीय केंद्रों में से एक के रूप में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना रहा है, जो अगले कुछ वर्षों में वैश्विक वित्तीय केंद्र सूचकांक-लंदन में और भी महत्वपूर्ण स्थान हासिल करेगा। इसके अतिरिक्त, गिफ्ट सिटी कॉर्पोरेट्स को ग्लोबल बेंचमार्क, वाइब्रेंट बिजनेस इकोसिस्टम, सिंगल विंडो एक्सेस के माध्यम से निवेश के लिए सुविधाएं प्रदान करता है। गिफ्ट सिटी को ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी के लिए भारत की पहली प्लेटिनम रेटेड सिटी का सम्मान भी मिला है।
गिफ्ट सिटी में पूंजी बाजार, ऑफशोर इंश्योरेंस एवं बैंकिंग, एसेट मैनेजमेंट और वैकल्पिक इन्वेस्टमेंट फंड्स के साथ ही एयरक्राफ्ट और शिप लीजिंग, अनुषांगिक सेवाएं, दो अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज और एक अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज के अलावा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग इकाइयां संचालित हैं। गिफ्ट सिटी में बैंक ऑफ अमेरिका, डीबीएस, ड्यूश बैंक, एचएसबीसी, एमयूएफजी बैंक, बार्कलेज, जेपी मॉर्गन चेस, बीएनपी पारिबा, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे विदेशी बैंकों तथा एसबीआई, फेडरल बैंक, आईडीबीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिन्द्रा, आईसीआईसीआई, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, आरबीएल बैंक, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और यस बैंक जैसे भारतीय बैंकों सहित कुल 28 बैंकिंग इकाइयां मौजूद हैं। गिफ्ट सिटी में आलियांज, जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), केनरा एचएसबीसी, एचडीएफसी लाइफ, नेशनल इंश्योरेंस, आदित्य बिरला कैपिटल, एलायंस इंश्योरेंस ब्रोकर्स जैसी कुल 35 बीमा कंपनियां कार्यरत हैं।
इतना ही नहीं, गिफ्ट सिटी में 24 एयरक्राफ्ट लीजिंग और फाइनेंसिंग संस्थान 12 शिप लीजिंग, 1 बुलियन एक्सचेंज, 55 से अधिक फिनटेक कंपनियां, 130 से अधिक वैकल्पिक इन्वेस्टमेंट फंड, 124 फंड मैनेजमेंट कंपनियां, 2 अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज तथा 70 से अधिक अनुषांगिक सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां कार्यरत हैं। यहां डीकिन यूनिवर्सिटी और वॉलोन्गॉन्ग यूनिवर्सिटी जैसी विदेशी यूनिवर्सिटियां तथा गूगल, आईबीएम, कैपजेमिनी, ओरेकल, टीसीएस, साइबेज सॉफ्टवेयर और मैक्सिम इंटीग्रेटेड जैसी बड़ी कंपनियां भी मौजूद हैं। आगामी समय में गिफ्ट सिटी में रिवरफ्रंट, सेंट्रल पार्क और लीलावती हॉस्पिटल जैसे विभिन्न प्रोजेक्ट भी कार्यरत होंगे।
हरिद्वार से लेकर उच्च हिमालय तक आस्था पथ गुलजार
देश-दुनिया को लुभा रही देवभूमि की प्राकृतिक सौंदर्य
चारधाम यात्रा से जुड़ी है उत्तराखंड की आर्थिकी
देहरादून, 15 अक्टूबर | हरी-भरी वादियां, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, सीढ़ीनुमा-घुमावदार सड़कें, हिमालय व हिल स्टेशन समेत देवभूमि का प्राकृतिक सौंदर्य इन दिनों पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। मई से शुरू हुई राज्य की चारधाम यात्रा इस वर्ष अब तक तीर्थयात्रियों का आंकड़ा 40 लाख पार कर चुका है। राज्य में अब तक चार लाख 80 हजार 788 वाहन भी चारधाम पहुंच चुके हैं। अभी भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्री चारधाम यात्रा पर देवभूमि पहुंच रहे हैं।
दरअसल, इस वर्ष की चारधाम यात्रा अब अंतिम चरण में है। आने वाले दिनों में सभी धाम छह माह के लिए बंद हो जाएंगे। ऐसे में हरिद्वार से लेकर उच्च हिमालय तक आस्था पथ गुलजार है। चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी की लाइफलाइन है। चारधाम यात्रा से हजारों परिवारों को काफी आस होती है। उत्तराखंड समेत आसपास के राज्यों के अलावा नेपाल के नागरिक भी चारधाम यात्रा के सहारे गुजर-बसर करने देवभूमि आते हैं।
इस वर्ष 31 जुलाई की आपदा भी आस्था की डगर पर श्रद्धालुओं के पांव रोक नहीं पाई। इस वर्ष अब तक 40 लाख 92 हजार 360 तीर्थयात्री सुरक्षित धार्मिक यात्रा कर चारों धामों में शीश नवा चुके हैं। इस दौरान सबसे अधिक यात्री केदारनाथधाम में मंगलवार तक 13 लाख 67 हजार 567 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। बद्रीनाथ धाम में 11 लाख 18 हजार 348 व गंगोत्री धाम में सात लाख 53 हजार 397 तो यमुनोत्री धाम में अब तक छह लाख 60 हजार 333 तीर्थयात्रियों ने हाजिरी लगा चुके हैं। साथ ही हेमकुंड साहिब दरबार में एक लाख 83 हजार 722 व गौमुख में अब तक 8993 भक्त मत्था टेक चुके हैं। वहीं, अभी भी तीर्थयात्रियों का केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम पहुंचने का सिलसिला जारी है। अकेले केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 10 हजार के पार तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं।
विश्व फलक पर अतिथि देवो भव: का संदेश देती चारधाम यात्रा
शक्ति-भक्ति से लबरेज पुष्कर सिंह धामी की सरकार सुरक्षित धार्मिक यात्रा को लेकर प्रतिबद्ध है। ऐसे में चारधाम यात्रा विश्व फलक पर अतिथि देवो भव: का संदेश दे रही है। यह संभव हो पाया है सरकार और प्रशासन के समन्वय से। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित यात्रा कराना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित और मजबूत करने लिए यात्रा प्राधिकरण बनाया जा रहा है। इसके लिए चारधाम यात्रा एवं इससे जुड़े लोगों और स्टेक होल्डर्स के सुझाव लिए जा रहे हैं।
पिछले कई वर्षाें में गुजरात पर्यटन तथा यात्राधामों के लिए किए गए विकास कार्याें की बदाैलत आज वर्ल्ड टूरिज्म मैप पर चमक रहा है। राज्य में दो दशकों में पर्यटकों की संख्या में 22 गुना वृद्धि हुई है। इसके साथ ही राज्य के पर्यटन विभाग का
बजट वर्ष 2001-02 में पर्यटन विभाग का बजट 12 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 1620.06 करोड़ रुपये हो गया है।
नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के रूप में 23 वर्ष पूर्ण होने पर गुजरात सरकार 7 से 15 अक्टूबर के दौरान विकास सप्ताह मना रही है। आज विश्वभर के पर्यटकों के लिए गुजरात पसंदीदा राज्य बन गया है। वर्ष 2003-04 में राज्य में केवल 61.5 लाख पर्यटक आते थे, जिनकी संख्या वर्ष 2022-23 में 14 करोड़ के पार हो गई। इनमें 22 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक शामिल हैं।
रणोत्सव, पतंगोत्सव आदि उत्सवों को मिली विश्वस्तरीय लोकप्रियता
नरेन्द्र मोदी ने कच्छ में सफेद रण (रेगिस्तान) का पर्यटन की दृष्टि से महत्व समझा और वर्ष 2005 में ‘रणोत्सव’ की शुरुआत कराई। केवल तीन दिवसीय उत्सव के रूप में शुरू हुआ रणोत्सव आज चार महीने के लंबे कार्यक्रम में परिवर्तित हो गया है। गुजरात के उत्तरायण के त्योहार के प्रति देश-विदेश के लोगों को आकर्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव की शुरुआत की गई थी। अहमदाबाद स्थित कांकरिया तालाब परिसर में वर्ष 2009 से कांकरिया कार्निवल हर वर्ष मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त वडनगर की बहनों की स्मृति में ताना-रीरी महोत्सव, मोढेरा स्थित सूर्य मंदिर परिसर में भारतीय नृत्य संस्कृति को बढ़ाने के लिए उत्तरार्ध महोत्सव के कारण भी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है, तो वाइब्रेंट गुजरात नवरात्र महोत्सव के आयोजन से गुजरात का नवरात्रि उत्सव तथा गरबा विश्व स्तर पर विख्यात हुए हैं।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ आकर्षण का केन्द्र
अखंड भारत के निर्माता लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से गुजरात में नर्मदा जिले के केवडिया में 182 मीटर यानी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (एसओयू) का निर्माण किया गया है। एसओयू के आसपास के क्षेत्र में जंगल सफारी पार्क, चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क, आरोग्य वन, वैली ऑफ फ्लॉवर्स, एकता मॉल, एकता नर्सरी, मियावाकी वन तथा मेज गार्डन सहित विभिन्न पर्यटन आकर्षणों का विकास किया गया है। केवडिया में रेलवे स्टेशन का निर्माण कर पर्यटकों को परिवहन के लिए सरल कनेक्टिविटी दी गई है। राज्य सरकार द्वारा केवडिया का टोटल टूरिज्म डेवलपमेंट के रूप में विकास किया जा रहा है।
स्मृति वन तथा वीर बाल स्मारक
26 जनवरी, 2001 के विनाशकारी भूकंप के शिकार नागरिकों की स्मृति में कच्छ में स्मृति वन का निर्माण किया गया। इसके अलावा कच्छ के भूकंप में अंजार शहर में मलबे में दफन हो गए बच्चों तथा शिक्षकों की स्मृति में अंजार शहर के बाहर वीर बाल स्मारक तैयार किया गया है।इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 में किया गया था।
टूरिज्म फ्रेंड्ली पॉलिसियाँ लागू हुईं
गुजरात में पर्यटन क्षेत्र को गति देने के उद्देश्य से ‘गुजरात टूरिज्म पॉलिसी’ तथा राज्य की ऐतिहासिक विरासतों-इमारतों तथा स्थलों को हेरिटेज टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘हेरिटेज टूरिज्म पॉलिसी’ लागू की गईं। देश-विदेश के पर्यटक गुजरात की संस्कृति तथा परंपरा से अवगत कराने और गुजराती व्यंजनों का स्वाद का आनंद उठाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ‘गुजरात होम स्टे पॉलिसी’ भी लागू की है। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। गुजरात की हस्तकला की समृद्ध परंपरा को प्रमोट करने के लिए पर्यटन विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों में हस्तकला उत्पादों के स्टॉल्स लगाने के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया।
पर्यटन स्थलों को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान
पिछले 23 वर्षों में पाटण स्थित राणकी वावा (रानी की बावड़ी), धोळावीरा, अहमदाबाद शहर तथा चाॅपानेर का यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में समावेश हुआ है। यूनाइटेड नेशन्स एजेंसी वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन ने कच्छ के धोरडो गांव को ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज’ घोषित किया है। यूनेस्को ने गुजरात के गरबा को ‘अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ की सूची में स्थान दिया है। द्वारका में स्थित शिवराजपुर बीच को ‘ब्ल्यू फ्लैग बीच’ में स्थान प्राप्त हुआ है। यूनेस्को के प्रिक्स वर्सेल्स अवॉर्ड अंतर्गत भुज का स्मृति वन भूकंप मेमोरियल तथा म्यूजियम विश्व के 7 सर्वाधिक सुंदर म्यूजियम्स की सूची में शामिल हुआ है।
तीर्थस्थलों का विकास
जूनागढ़ में गिरनार स्थित एशिया के सबसे बड़े गिरनार रोप-वे का निर्माण किया गया, जिससे श्रद्धालुओं, विशेषकर वरिष्ठ-बुजुर्गों के लिए माताजी के दर्शन सुलभ हुए हैं। गुजरात के विश्व प्रसिद्ध यात्राधाम अंबाजी में 51 शक्तिपीठ का निर्माण किया गया है। आद्यशक्ति धाम के दर्शन को आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को अब एक ही स्थान पर एक साथ सभी 51 शक्तिपीठों के दर्शन का लाभ प्राप्त हो रहा है। पावागढ़ में माँ कालिका के नवनिर्मित मंदिर पर 500 वर्ष बाद स्वर्ण शिखर पर ध्वजारोहण किया गया है। सौराष्ट्र के समुद्री तट पर स्थित प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर में पर्यटकों के लिए सुविधायुक्त सर्किट हाउस का निर्माण किया गया है। प्रसाद योजना अंतर्गत सोमनाथ धाम में यात्रियों की सुविधाओं के लिए अनेक विकास कार्य हो रहे हैं। जीएसआरटीसी ने स्लीपर कोच, एसी कोच तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए उच्चतम् स्तरीय लग्जरी कोच सहित नए प्रकार की सेवाएँ शुरू कर विभिन्न यात्राधामों को जोड़ा है। राज्य के विभिन्न यात्राधामों में सोलर रूफटॉप लगाने का कार्य किया जा रहा है।
सिंधु दर्शन यात्रा यात्रियों को 15 हजार रुपये की सहायता
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति की एकता का दर्शन कराने वाली ‘सिंधु दर्शन यात्रा’ को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार सिंधु दर्शन यात्रा पर जाने वाले गुजरात के यात्रियों को 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। गुजरात के वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थधामों के दर्शन कराने के लिए राज्य सरकार ने श्रवण तीर्थ दर्शन योजना चलाई है।
झांसी, 14 अक्टूबर । प्रयागराज महाकुंभ-2025 से पूर्व प्री कुंभ के अवसर पर जनपद झांसी में 15 दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत आज होगी। योगी सरकार प्री कुम्भ के आयोजन के माध्यम से बुन्देखण्ड की लोकसंस्कृति के प्रति जागरुकता का प्रसार करने के मकसद से कई तरह के आयोजन कर रही है। इसी कड़ी में झांसी में यह खास आयोजन किया जाना है।
14 से 28 अक्टूबर 2024 की अवधि में महाकुंभ प्रयागराज-2025 के अंतर्गत जनपद झांसी में राई लोकनृत्य कार्यशाला का आयोजन आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में किया जाएगा। कार्यशाला में वंदना कुशवाहा और उनकी टीम छात्राओं को प्रशिक्षण देगी। कॉलेजों की इच्छुक छात्राएं 14 और 15 अक्टूबर को आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर में पहुंचकर स्क्रीनिंग में हिस्सा ले सकती हैं। कार्यशाला के लिए 50 छात्राओं का चयन किया जाएगा।
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर अलका नायक और कार्यशाला समन्वयक देवराज चतुर्वेदी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है कि भारत की संस्कृति को पूरे विश्व में प्रसारित किया जाए। यह विशेष कार्यशाला बुन्देली संस्कृति को पूरे विश्व में सबके सामने ले जाने में सहायक सिद्ध होगी।
प्रतिदिन होने वाली पांच में तीन आरती का समय भी बदलेगा
उज्जैन, 13 अक्टूबर। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में आगामी 18 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से भगवान महाकाल की दिनचर्या बदलेगी। सर्दी के मौसम में अवंतिकानाथ सुबह आधा घंटा देरी से भोजन करेंगे। भस्म आरती में भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। प्रतिदिन होने वाली पांच में तीन आरती का समय भी बदलेगा। दिनचर्या में बदलाव का यह क्रम फाल्गुन पूर्णिमा तक चलेगा।
पं. महेश पुजारी ने रविवार को बताया कि महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में गर्मी व सर्दी के क्रम में प्रत्येक छह माह में भगवान की दिनचर्या बदलती है। वर्तमान में भगवान की दिनचर्या गर्मी के मौसम अनुसार चल रही है। भगवान ठंडे जल से स्नान कर रहे हैं, लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से मंदिर में सर्दी की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से भगवान महाकाल ठंडे के बजाय गर्म जल से स्नान करना प्रारंभ करते हैं। साथ ही आरती का समय भी बदलता है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रतिदिन सुबह सात बजे दद्योदक अर्थात बालभोग आरती हो रही है। इस आरती में भगवान को दही-चावल का भोग लगाया जाता है। आगामी 18 अक्टूबर से यह आरती सुबह 7.30 बजे से होगी। इसी प्रकार वर्तमान में सुबह 10 बजे भोग आरती हो रही है। इसमें भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान का नैवेद्य लगाया जाता है। यानी भगवान सुबह 10 बजे भोजन कर रहे हैं। वहीं, 18 अक्टूबर से भोग आरती सुबह 10.30 बजे होगी। इसका आशय यह है, सर्दी में भगवान आधा घंटा देरी से भोजन करेंगे। वर्तमान में संध्या आरती शाम सात बजे की जा रही है, लेकिन 18 अक्टूबर से संध्या आरती प्रतिदिन शाम 6.30 बजे से होगी, क्योंकि सर्दियों में सूर्यास्त जल्दी होने लगता है।
इसके अलावा, प्रतिदिन तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती तथा रात 10.30 बजे होने वाली शयन आरती अपने इसी निर्धारित समय पर होगी। शाम पांच बने होने वाली संध्या पूजन का समय भी वहीं रहेगा।
हमीरपुर। हमीरपुर जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के बिहुंनी कला गांव के लाेग विजयदशमी पर रावण की पूजा करते हैं। बड़ी आबादी वाले इस गांव में रावण की विशालकाय प्रतिमा भी स्थापित है। दशहरा पर्व को लेकर यहां रावण की प्रतिमा को रंग रोशन करने की तैयारी ग्रामीणों ने शुरू कर दी है।
बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के बिहुंनी कला गांव में विजयदशमी के पर्व पर ग्रामीण रावण की पूजा करते हैं। गांव के सरपंच प्रतिनिधि उपेन्द्र कुमार ने बताया कि गांव में विजयदशमी पर्व पर यहां रावण की पूजा होती है। गांव के लोग बड़े ही श्रद्धाभाव से रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। ग्राम प्रधान संगठन के प्रमुख नेता हर स्वरूप व्यास ने बताया कि हमीरपुर जिले का बिहुंनीकला इकलौता ऐसा गांव है जहां पूरा गांव एकजुट होकर रावण की प्रतिमा के सामने माथा टेकता है। विजयदशमी के दिन रावण की प्रतिमा का भव्य श्रंृगार भी लोग करते हैं।
दस फीट ऊंची स्थापित है रावण की प्रतिमा, 20 हाथ भी है प्रतिमा में
ग्रामीणों ने बताया कि बिहुंनीकला गांव में दस फीट ऊंची और बीस हाथ वाली रावण की प्रतिमा स्थापित है। रावण की प्रतिमा के मुकुट में घोड़े जैसी आकृति भी बनी हुई है। इसके बीस हाथ हैं। रावण के मुख्य सिर के अलावा नौ सिर भी प्रतिमा में लगे हैं। प्रतिमा भी बैठने की मुद्रा में है। पंडित दिनेश दुबे ने बताया कि रावण बड़ा ही धर्मशास्त्री था जिसका अपमान नहीं होना चाहिए। इसीलिए इस गांव में रावण का पुतला दहन नहीं किये जाने की परम्परा कायम है। गांव का एक मुहाल रावण पट्टी के नाम से आज भी बसा है।
रावण की प्रतिमा को दशहरे के दिन सजाने की कायम है परम्परा
ग्राम प्रधान संगठन के प्रमुख नेता हर स्वरूप व्यास ने बताया कि पूरे देश में विजयदशमी पर्व के दिन रावण के पुतले फूंकने की परम्परा कायम है। शहर से लेकर कस्बे और ग्रामीण इलाकों में विजयदशमी की धूम मचती है। रामलीला में श्रीराम-रावण के बीच युद्ध होता है। रावण वध के बाद हर जगह दशहरे की रौनक बढ़ जाती है लेकिन हमीरपुर जिले में बिहुंनीकला गांव में इस त्योहार की कोई रंगत नहीं रहती है। यहां रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है। रावण की बड़ी प्रतिमा को रंग रोशन कर लोग सजाते हैं।
रावण की विशालकाय प्रतिमा पर श्रद्धा से चढ़ाते है नारियल
विजयदशमी पर असत्य के प्रतीक रावण के पुतले का दहन कर लोग इस पर्व को बड़े ही खुशी के माहौैल में मनाए जाने की परम्परा बुन्देलखंड में आज भी कायम है लेकिन हमीरपुर के बिहुंनीकला गांव में इसके विपरीत ही परम्परा कायम है। राम का अभिनय करने वाले राजेश का कहना है कि इस गांव में जनवरी माह में रामलीला तो होती है लेकिन रावण का पुतला नहीं फूंका जाता है। यह परम्परा बहुत ही पुरानी है जिसका आज भी निर्वहन इस गांव में होता है। पूरे गांव के लोग रावण की प्रतिमा पर नारियल चढ़ाते हैं।
