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प्रो. तनेजा ने दिग्गजों को सिखाया अभिनय का ककहरा

Date : 27-Nov-2022

 देश में विधिवत फिल्म एक्टिंग सिखाने की शुरुआत साल 1963 में एफटीआईआई पुणे में एक्टिंग डिपार्टमेंट की स्थापना के साथ हुई । यह इंस्टीट्यूट के आरंभ होने के दो साल बाद की बात है। इसकी शुरुआत प्रो. रोशन तनेजा ने की थी जो न्यूयॉर्क के नेबरहुड प्लेहाउस स्कूल ऑफ थिएटर में ऑस्कर विजेता निर्देशक सिडनी पोलॉक और 'माइजनर टेक्निक' विकसित करनेवाले अमेरिकी एक्टर और एक्टिंग टीचर सैनफोर्ड माइजनर की देख-रेख में ट्रेनिंग लेकर भारत लौटे थे। उस समय देश के पहले और एकमात्र योग्यता प्राप्त एक्टिंग टीचर थे। उन्होंने मेथड एक्टिंग की शुरुआत की थी। 1975 तक उन्होंने दो साल का यह कोर्स बड़ी मेहनत से चलाया और बेहतरीन प्रतिभाओं जया भादुड़ी, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, ओम पुरी, शत्रुघ्न सिन्हा, असरानी, सुभाष घई और मिथुन चक्रवर्ती आदि को सिखाया। लेकिन संस्थान में अभिनय के छात्रों द्वारा की गई एक हिंसक हड़ताल के कारण 1975 में यह कोर्स बंद हो गया। 

इसके बाद रोशन तनेजा स्कूल ऑफ एक्टिंग बंबई ( मुंबई) खोला गया। यह इंस्टीट्यूट एक्टर बनने की चाह रखनेवालों के लिए एक साल का कोर्स ऑफर करता था। बैड मैन के नाम से लोकप्रिय विलेन गुलशन ग्रोवर ने अपनी आत्मकथा में इस इंस्टीट्यूट के बारे में काफी कुछ लिखा है क्योंकि उन्होंने भी यही से एक्टिंग का कोर्स किया था । उनके क्लासमेट्स थे अनिल कपूर, मजहर खान, सुरेंद्र पाल सिंह, मदन जैन, राजहंस सिंह और राजेश माथुर आदि। यह सभी लोग रोशन तनेजा को 'सर' कहा करते थे। फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे से उनसे प्रशिक्षण लेकर निकलने वाले मिथुन चक्रवर्ती, ओम पुरी , गीता खन्ना, फुनसुख लद्दाखी और बेंजामिन गिलानी जैसे लोगों को यहां टीचर के तौर पर रखा गया था। जया भादुड़ी, शबाना आजमी, शत्रुघ्न सिन्हा और रीता भादुड़ी विजिटिंग फैकल्टी के रूप में आते थे। अकसर वे दोपहर में, जब उनकी शूटिंग नहीं चल रही होती थी या शाम को जल्दी पैकअप हो जाने के बाद वर्कशॉप के लिए आते थे। इन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को छात्रों ने तब तक सिर्फ परदे पर देखा था। उन्हें सामने और इतना करीब से देखना सबको रोमांचक से भर देता था। इनमे से मिथुन चक्रवर्ती जैसे कई टीचर खुद ही संघर्ष करनेवाले एक्टर थे, जिन्हें ब्रेक की जरूरत थी। 

कई बातों के अलावा इन सबको 'इंप्रोवाइजेशन' का एक सबक भी सिखाया जाता था जो किसी भी एक्टर के लिए अपनी भावनात्मक ऊंचाई और विविधता का पता लगाने के लिए एक जरूरी अभ्यास था। इसके बारे में बताते हुए गुलशन ग्रोवर ने लिखा है कि हम किसी एक परिस्थिति के साथ ही उस एक्टर को चुनते थे, जो हमारे साथ पार्टनर बन सकता था और तनेजा जी को बताते थे। कभी-कभी शाम को क्लास के बाद सीनियर्स भी 'इंप्रोवाइजेशन' करके दिखाते थे। रीताजी ने एक बार ऐसा ही किया था, जो मुझे याद है। वह लखनऊ से थीं और हमेशा मुस्कुराते रहनेवाली बंगाली एक्ट्रेस थीं, जिनके पार्टनर थे सलीम गौस। उनकी प्रेम कहानी सलीम के मालाबारी स्टोर में परवान चढ़ी, जहां रीताजी हर शाम ब्रेड, अंडे और दूसरी चीजों के लिए जाया करती थीं। उनका 'इंप्रोवाइजेशन' अपनी सादगी और गर्मजोशी के कारण दिल को छू लेनेवाला होता था। यह अचानक की जानेवाली अदाकारी नहीं थी। छात्रों, यहां तक कि टीचर्स को भी उनकी योजना बनाने और तैयारी करने में कई हफ्ते लग जाते थे, जो अंग्रेजी के डब्ल्यू अक्षर से बने पांच शब्दों को याद रखते थे, जिनका मतलब होता है-कौन, क्या,कब, कहां और क्यों। वे जिस दिन फ्लोर पर आते थे, उस दिन तक वे किरदार में इस हद तक उतर चुके होते थे कि वे सच में उस रोल को जीते थे। 

बाद में कई सितारा पुत्रों का प्रशिक्षण उन्हीं के यहां हुआ जिनमें संजय दत्त, सन्नी देओल, कुमार गौरव, विजेयता पंडित, टीना मुनीम आदि के नाम शामिल हैं। इन्हें पढ़ाने का अवसर गुलशन ग्रोवर को भी मिला जो उन दिनों खाली होने के कारण वहां क्लास ले रहे थे। इसी समय तनेजा जी की सफलता की देखा - देखी एक अन्य असफल अभिनेत्री आशा चंद्रा ने भी अपना एक एक्टिंग स्कूल खोला जो ठीक- ठाक ही चला । रोशन तनेजा का स्वर्गवास कैंसर के चलते 87 वर्ष की आयु में 11 मई, 2019 को मुंबई में हुआ। उन्होंने मोमेंट्स ऑफ ट्रुथ: माई लाइफ विद एक्टिंग शीर्षक से अपने संस्मरण भी लिखे हैं ।

चलते चलते 

बाद के वर्षों में उनके छात्रों में सुनील, अजय देवगन, जूही चावला, माधुरी दीक्षित, गोविंदा, रानी मुखर्जी और जिमी शेरगिल आदि रहे हैं। वर्तमान पीढ़ी के लिए, रणबीर कपूर, सोनम कपूर, अभिषेक बच्चन, इमरान हाशमी और कई अन्य अभिनेताओं ने भी उनके संरक्षण का लाभ उठाया ।


 

अजय कुमार शर्मा

(लेखक, राष्ट्रीय साहित्य संस्थान के सहायक संपादक हैं। नब्बे के दशक में खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रही प्रतिष्ठित पहली हिंदी वीडियो पत्रिका कालचक्र से संबद्ध रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पर पैनी नजर रखते हैं।)

 
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