हिंदी सिनेमा में अपनी हास्यप्रद भूमिकाओं से दर्शकों हंसा- हंसाकर लोट-पोट कर देने वाले अभिनेता देवेन वर्मा बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी शानदार अदायगी के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर 1937 को गुजरात के कच्छ जिले में हुआ था। उनका लालन-पालन पुणे में हुआ। उनके पिता बलदेव सिंह वर्मा का चांदी का कारोबार था। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद देवेन वर्मा ने 1961 में बीआर चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म धर्मपुत्र से हिन्दी सिनेमा में कदम रखा। इस फिल्म में वह एक छोटी सी भूमिका में नजर आये। 1964 में आई फिल्म ‘सुहागन’ में उनके अभिनय को लोगों ने खूब पसंद किया और फिर उनका करियर आगे बढ़ने लगा। फिल्म ‘मोहब्बत जिंदगी है’ में उन्होंने हास्य भूमिका निभाई तो वहीं ‘देवर’ में उनका निगेटिव रोल था, लेकिन दोनों ही फिल्मों को दर्शकों का खूब प्यार मिला। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा हास्यप्रद भूमिकाओं में ही पसंद किया गया।
उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में एक आज और कल (1963), गुमराह , सुहागन, कव्वाली की रात, अनुपमा, खामोशी ,गुड्डी, बुड्ढा मिल गया, मेरे अपने, अन्नदाता, धुंध,चोरी मेरा काम , कभी कभी, चोर के घर चोर, गोलमाल, लोक परलोक आदि शामिल हैं। हमेशा अपने डायलॉग्स बोलने के अंदाज और बॉडी लैंग्वेज के जरिये दर्शकों को गुदगुदाने वाले देवेन वर्मा का 2 दिसम्बर, 2014 को 77 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। देवेन वर्मा अब नहीं हैं लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरभि सिन्हा/कुसुम