अर्जुन बोले - "क्यों नहीं, यह व्यवस्था कर सकते हैं | अभी इसका प्रबंध करते हैं |"
यह सुनकर ब्राम्हण अर्जुन से कहने लगा "तो क्या मुझे किसी अन्य स्थान पर जाना होगा ?"
अर्जुन के कहा " महाराज अब तो लाचारी है |"
स्थिति समझकर ब्राम्हण बोलै- " महाराज! तो अब मैं चलूँ ?"
कर्ण बोलै- " महाराज ! आप तनिक रुकिये, मैं, आपकी व्यवस्था करता हूँ |"