मेरे जीवन का यह सिद्धान्त रहा है कि मुझे अपने पूर्वजों को अपनाने में कभी लज्जा नहीं आई। मैं सबसे गर्वीले मनुष्यों में से एक हूँ। किन्तू, मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से बता दूँ यह गर्व मुझे अपने कारण नहीं अपितु अपने पूर्वजों के कारण है। अतीत का मैंने जितना ही अध्ययन किया है, जितनी ही मैंने भूतकाल पर दृष्टि डाली है, यह गर्व मुझमें उतना ही बढ़ता गया है। उसने मुझे साहसपूर्ण निष्ठा और शक्ति प्रदान की है। उसने मुझे धरती की धूल से उठाकर ऊपर खड़ा कर दिया और अपने महान् पूर्वजों के द्वारा निर्धारित उस महायोजना को पूर्ण करने में जुटा दिया। उन प्राचीन आर्यों की सन्तानों! भगवत्कृपा से तुम भी उस गर्व से परिपूर्ण हो जाओ। तुम्हारे रक्त में अपने पूर्वजों के लिए उसी श्रद्धा का संचार हो जाय! यह तुम्हारे रग-रग में व्याप्त हो जाये और तुम संसार के उद्धार के लिए सचेष्ट हो जाओ |
~ स्वामी विवेकानन्द