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प्रतिभा दैनिक अनुभव में अपनी भावनाओं को नवीनीकृत करने की क्षमता है - पॉल सेज़ेन

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चाणक्य नीति:- विद्या कामधेनु के सामान होती है

Date : 03-Jul-2024

 कामधेनुगुणा विद्या ह्रायकाले फलदायिनी |

प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम ||

आचार्य चाणक्य यहां विद्या के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए उसके प्रयोजन और उपयोग की चर्चा कर रहे हैं | उनका कहना है कि विद्या कामधेनु के सामान गुणोंवाली हैबूरे समय में फल देनेवाली है, प्रवास काल में माँ के सामान है तथा गुप्त धन है |

आशय यह है कि विद्या कामधेनु के समान सभी इच्छाओं को पूरा करनेवाली है बूरे-से-बूरे  समय में भी यह साथ नहीं छोड़ती | घर से कहीं बाहर चले जाने पर भी यह मां  के समान रक्षा करती है | यह एक गुप्त धन है,  इस धन को कोई नहीं देख सकता |

आचार्य चाणक्य मानते हैं कि विद्या एक गुप्त धन है अर्थात एक ऐसा धन है जो दिखाई नहीं देता पर वह है और अनुभव की वस्तु है | जिसका हरण तथा विभाजन नहीं हो सकता, अत: वह सब प्रकार से सुरक्षित और विश्वसनीय भी है | वही समय पड़ने पर आदमी के काम आता है |

इस प्रकार विद्या संकट में कामधेनु के समान और प्रदेश में माँ के समान है | सबसे बड़ी बात यह है कि यह प्रच्छन्न और सुरक्षित धन है |

 
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