यह देखकर तथागत उन सबसे बोले, "श्रावकों आप लोगों को आश्चर्य है कि मैंने गणिका के घर कैसे भोजन किया | उसका कारण यह है कि वह यद्यपि गणिका है, किन्तु उसने अपने को पश्चाताप की अग्नि में जलाकर निर्मल कर लिया है | जिस धन को पाने के लिए मनुष्य मनौतियां करता है और न जाने क्या-क्या तरीके इस्तेमाल करता है, उसी को आम्रपाली ने तुच्छ मानकर लात मारी है और अपना घृणित जीवन त्याग दिया है | क्या अब भी उसे हेय माना जाये ? यह सुन सभी शिष्यों को पश्चाताप हुआ और उन्होंने तथागत से क्षमा मांगी|