विश्व संस्कृत दिवस 2025, 9 अगस्त 2025 (श्रावण पूर्णिमा) को मनाया जाएगा। यह दिवस संस्कृत भाषा की शाश्वत विरासत को समर्पित एक विशेष अवसर है, जिसे हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन साहित्य, विज्ञान और अध्यात्म जैसे क्षेत्रों में संस्कृत के व्यापक प्रभाव को रेखांकित करता है। इस अवसर पर भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के संस्कृत प्रेमी समुदाय अपनी भाषाई जड़ों से जुड़ने, संस्कृत को सीखने के प्रति प्रेरित होने और इस प्राचीन भाषा की गरिमा को सम्मान देने का कार्य करते हैं।
विश्व संस्कृत दिवस की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई थी, जब भारत सरकार ने इसे पहली बार आधिकारिक रूप से मान्यता दी। इसे श्रावण पूर्णिमा जैसे शुभ अवसर के साथ जोड़ा गया, जो पहले से ही भारतीय संस्कृति में धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। समय के साथ यह उत्सव शैक्षणिक परिसरों से निकलकर व्यापक सांस्कृतिक आयोजनों में तब्दील हो गया है और युवाओं को संस्कृत भाषा और संस्कृति से जोड़ने में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।
संस्कृत केवल एक प्राचीन भाषा नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन, गणित, साहित्य और धार्मिक परंपराओं की नींव है। इसका व्याकरण संरचना और शब्दावली विश्व स्तर पर अद्वितीय मानी जाती है। संस्कृत दिवस यह प्रदर्शित करता है कि कैसे यह भाषा वैदिक ऋचाओं से लेकर आधुनिक अनुसंधान तक ज्ञान को जोड़ती है। कई विद्वानों का मानना है कि संस्कृत कंप्यूटर विज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल भाषाविज्ञान जैसे क्षेत्रों में तार्किक ढांचे के रूप में अत्यधिक उपयुक्त है। यह दिन विश्व स्तर पर स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और भाषाई विविधता के सम्मान का प्रतीक भी बन चुका है।
इस दिन स्कूल, कॉलेज और सांस्कृतिक संस्थान विविध गतिविधियों का आयोजन करते हैं, जैसे श्लोक पाठ, संस्कृत नाटक, निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, पोस्टर निर्माण, भाषण आदि। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी वेबिनार और संगोष्ठियों के माध्यम से संस्कृत की भूमिका और भविष्य पर चर्चा होती है। ये सभी कार्यक्रम विद्यार्थियों और आमजन में संस्कृत के प्रति उत्साह और सम्मान की भावना को बढ़ावा देते हैं।
संस्कृत दिवस पर कई प्रेरणादायक उद्धरणों का भी प्रयोग होता है, जैसे —
“सर्वे भवन्तु सुखिनः” (सभी सुखी हों),
“विद्या ददाति विनयं” (ज्ञान विनम्रता देता है),
“सत्यं वद धर्मं चर” (सत्य बोलो, धर्म का पालन करो)।
ये उद्धरण आज भी मानवीय मूल्यों, एकता और सत्य के आदर्शों को प्रोत्साहित करते हैं।
अंततः, विश्व संस्कृत दिवस 2025 केवल परंपरा को स्मरण करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह संस्कृत के संरक्षण, शिक्षण और नवाचार की ओर एक नई प्रतिज्ञा का दिन है। जैसे-जैसे डिजिटल शिक्षा और वैश्विक संवाद के साधन बढ़ रहे हैं, संस्कृत के प्रति रुचि और शोध भी बढ़ रहा है। यह दिवस हम सभी को प्रेरित करता है कि हम इस गौरवशाली भाषा को अपने जीवन में स्थान दें और आने वाली पीढ़ियों तक इसकी विरासत को जीवित रखें।