अजा एकादशी व्रत को लेकर शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य इस उपवास को विधानपूर्वक करते हैं तथा रात्रि-जागरण करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में वे स्वर्ग को प्राप्त करते हैं.
इस एकादशी व्रत की कथा के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति हो जाती है. भाद्रपद माह की पहली एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं. जानें इस साल अजा एकादशी 29 या 30 अगस्त कब मनाई जाएगी.
अजा एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान ध्यान करें
• अब भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर, फलों तथा फूलों से भक्तिपूर्वक पूजा करें
• पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. इस व्रत में रात्रि जागरण करें
• द्वादशी तिथि के दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर ही व्रत का पारण करें.
अजा एकादशी देता है मोक्ष
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने और व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. अजा एकादशी की कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में दान-स्नान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होता है और साथ ही, व्यक्ति इस लोक में सुख भोग कर अंत में विष्णु लोक में पहुंच जाता है.
एकादशी के दिन क्या न करें?
● वृक्ष से पत्ते न तोड़ें।
● घर में झाड़ू न लगाएं। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि घर में झाड़ू आदि लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है। और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है।
● बाल नहीं कटवाएं।
● ज़रूरत हो तभी बोलें। कम से कम बोलने की कोशिश करें। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि ज्यादा बोलने से मुँह से गलत शब्द निकलने की संभावना रहती है।
● एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है।
● किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं।
● मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें।
● यदि कोई फलाहारी है तो वे गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें। वे आम, केला, अंगूर, पिस्ता और बादाम आदि का सेवन कर सकते है।