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कुप्प. सी. सुदर्शन: राष्ट्र सेवा को समर्पित एक जीवन

Date : 22-Aug-2025
कुप्पाहल्ली सीतारामैया सुदर्शन, जिन्हें आमतौर पर कुप्प. सी. सुदर्शन के नाम से जाना जाता है, भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पांचवें सरसंघचालक थे। उन्होंने 2000 से 2009 तक इस पद पर रहते हुए संघ की विचारधारा को मजबूत किया। हिंदू समाज को संगठित करने और उसके सामूहिक उत्थान की भावना से उनका जीवन प्रेरित था।

सुदर्शन जी का जन्म 18 जून 1931 को रायपुर (अब छत्तीसगढ़) में हुआ था। हालांकि, उनके माता-पिता मूल रूप से कर्नाटक के मंड्या जिले के कुप्पाहल्ली गांव के थे। उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से दूरसंचार में डिग्री हासिल की। नौ साल की उम्र से ही वह आरएसएस की शाखा से जुड़ गए थे और 1954 में उन्होंने पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में संघ की सेवा शुरू की। संघ के मध्य भारत, उत्तर-पूर्व और बौद्धिक विभागों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

सुदर्शन जी का मानना था कि हिंदू समाज का संगठन सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया है। वह संघ की प्रार्थना के सिद्धांतों को समाज में व्यावहारिक रूप से लाना चाहते थे। उनका लक्ष्य ऊर्जा, कृषि, गोरक्षा और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था, ताकि देश अपने स्वाभिमान और शक्ति के साथ खड़ा हो सके।

उन्हें यह दृढ़ विश्वास था कि भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बन सकता है। वह मानते थे कि विश्व का मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत की अपनी जीवनशैली, सिद्धांतों और समाज की गहराई में निहित है। सुदर्शन जी ने निराशा और उदासीनता को दूर करके समाज में आस्था और आत्मविश्वास जगाने का प्रयास किया।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं, महर्षि अरविंद का विश्वास और स्वामी विवेकानंद का मार्गदर्शन उनके जीवन में गहराई से समाहित थे। उन्होंने अपने मन में यह विश्वास बनाए रखा कि भारतीय समाज में बदलाव जरूर आएगा और वह इस विश्वास को अन्य लोगों के दिलों तक पहुंचाने में भी सफल रहे।

सुदर्शन जी स्वदेशी आंदोलन के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, शिक्षा और अर्थव्यवस्था के पश्चिमीकरण का खुलकर विरोध किया। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते हुए इसे भारतीय संदर्भों के अनुसार फिर से स्थापित करने पर जोर दिया। उनका मानना था कि समाज की प्रगति के लिए स्वदेशी विचारों और मूल्यों को अपनाना बहुत जरूरी है।

15 सितंबर 2012 को रायपुर में सुदर्शन जी का निधन हो गया। उनके काम और विचार आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। आरएसएस और अन्य संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर उनके योगदान को याद किया। कुप्प. सी. सुदर्शन का जीवन एक समर्पित प्रचारक और समाज सुधारक के रूप में हमारे सामने आता है, जिन्होंने विश्वास, धैर्य और कर्म के साथ भारतीय समाज के उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास किया।
 
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