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गणेश विसर्जन: परंपरा, महत्व और वर्तमान चुनौतियाँ

Date : 06-Sep-2025

गणेश उत्सव पूरे भारत में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्थी तक चलता है, जिसमें गणेश जी की प्रतिमा के साथ विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी को मनाने वाले श्रद्धालु इस दिन स्थापित की गई गणपती जी की प्रतिमा को 11वें दिन, यानी अनंत चतुर्दशी को विसर्जित करने की मान्यता रखते हैं, लेकिन वर्तमान में विसर्जन में विलंब भी होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, वेद व्यास जी ने बिना रुके गणेश जी को महाभारत की कथा दस दिनों तक सुनाई और गणेश जी ने उसे लिखा। इस दौरान गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया था, तब वेद व्यास जी ने उन्हें निकट स्थित एक कुंड में स्नान कराया, जिससे उनका तापमान कम हुआ। इसलिए गणपती स्थापना के बाद दस दिनों तक पूजा की जाती है और फिर 11वें दिन जल में गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

गणेश विसर्जन इस बात का प्रतीक भी है कि हमारा शरीर मिट्टी का बना है और अंत में मिट्टी में ही मिल जाना है। आधुनिक भारत में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 126 साल पहले यह परंपरा शुरू की थी। ब्रिटिश काल में सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव समूह में मनाने पर रोक थी, ऐसे में तिलक ने 1893 में सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव मनाने की शुरुआत की। गणेश विसर्जन भद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। जिनके घरों पर दस दिनों तक गणपति विराजमान होते हैं, वे इस दिन गणेश विसर्जन करते हैं और उन्हें खुशी-खुशी विदा कर अगले साल फिर आने को कहते हैं।

विसर्जन के दौरान एक खास नियम यह होता है कि गणपति का मुख घर की ओर होना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि घर की तरफ पीठ करके विसर्जन करने से गणेश जी नाराज हो जाते हैं। विसर्जन से पहले गणपति से जीवन में सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और उनसे जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। आरती करनी चाहिए और उन्हें प्रिय वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए। गणपति को शुभ मुहूर्त में विदा करना चाहिए और पूजा के दौरान अर्पित की गई वस्तुओं को उनके साथ ही विसर्जित करना चाहिए।

विसर्जन के दौरान ध्वनि यंत्रों से उत्पन्न होने वाला अत्यधिक शोर मानव और जीव-जन्तुओं के लिए समस्या बनता है। इससे सुनने की शक्ति प्रभावित हो सकती है, बड़े बुजुर्गों, छोटे बच्चों और अस्वस्थ लोगों को परेशानी होती है। फटाके और तेज आवाज से वातावरण प्रदूषित होता है, जिससे अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन को तेज ध्वनि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और फटाके से प्रदूषण फैलने पर रोक लगानी चाहिए।

वर्तमान समय में गणेश जी का विसर्जन घर पर ही करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन गणेश जी का विसर्जन हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।

 
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