हर वर्ष 15 सितंबर को भारत में अभियंता दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, ताकि इंजीनियरिंग क्षेत्र में एम. विश्वेश्वरैया द्वारा किए गए अतुलनीय योगदान को याद किया जा सके। इस दिन का आयोजन केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि श्रीलंका और तंजानिया जैसे देशों में भी इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया, जिनका पूरा नाम एम. विश्वेश्वरैया था, का जन्म 1861 में कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले के एक तेलुगु परिवार में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर में पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और बाद में पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। विश्वेश्वरैया सिंचाई प्रणाली और बाढ़ नियंत्रण में विशेषज्ञता रखते थे। उन्होंने पुणे के पास खडकवासला जलाशय में वाटर फ्लडगेट्स के साथ एक उन्नत सिंचाई प्रणाली विकसित की और उसका पेटेंट भी कराया।
वे मैसूर राज्य के दीवान के रूप में कार्यरत थे, जहां उन्होंने बैंगलोर कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की। 1917 में उन्होंने कर्नाटक में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, जो आज विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से प्रसिद्ध है। भारत सरकार ने उनके योगदान को सम्मानित करते हुए 1955 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा।
एम. विश्वेश्वरैया के प्रमुख कार्यों में कावेरी नदी पर बने कृष्णराज सागर बांध का उल्लेखनीय स्थान है। यह बांध उस समय के सबसे बड़े जलाशयों में से एक था और दक्षिण भारत के विकास में इसकी अहम भूमिका रही। यह परियोजना आज भी क्षेत्र में कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।
इसके अलावा, उन्होंने बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई प्रणालियों के क्षेत्र में अनेक योजनाएं तैयार कीं। मुंबई के बंदरगाह क्षेत्र के लिए बाढ़ नियंत्रण हेतु उन्होंने एक आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम डिजाइन किया, जिससे वहां की समस्याओं का समाधान हुआ। इनके प्रयासों से भारत में कृषि और उद्योग दोनों क्षेत्रों में विकास को तेजी मिली।
तकनीकी शिक्षा के विस्तार में भी उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ावा दिया, जिससे नई पीढ़ी को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में प्रगति के अवसर मिले।
विश्वभर में इंजीनियरिंग दिवस अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। यूनेस्को द्वारा 4 मार्च को वर्ल्ड इंजीनियरिंग डे घोषित किया गया है। भारत में यह उत्सव 1968 से मनाया जा रहा है। 1962 में एम. विश्वेश्वरैया के निधन के पश्चात उनके योगदान को सम्मानित करते हुए 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे घोषित किया गया।
अभियंता दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाओं और छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि तकनीकी नवाचार और इंजीनियरिंग की मदद से हम समाज के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और विकास की नई राहें प्रशस्त कर सकते हैं।